हरिद्वार

नैतिक मूल्य तथा संस्कार आज की जरूरत: डॉ० शिवकुमार चौहान

कुलदीप राय उत्तराखंड प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(कुलदीप राय) हरिद्वार। नैतिकता एवं अनुशासन ही व्यक्ति को समाज मे सम्मान एवं प्रतिष्ठा दिलाता है। व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए यह दोनों आवश्यक है। ज्ञान सफलता की चाबी है तो नैतिकता सफलता की सीढ़ी। एक के अभाव में दूसरें का पतन निश्चित है। जीवन मे सफलता का यही एकमात्र मूल मंत्र है। नैतिकता के कारण ही विश्वास में दृढ़ता और समझ में प्रखरता आती है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश महामंत्री डॉ० शिवकुमार चौहान ने क्षत्रिय समाज, सहारनुपर की प्रान्तीय कार्यकारिणी की ऑन-लाईन बैठक मे समाज की भूमिका तथा नैतिक मूल्यों पर चर्चा मे भाग लिया। डॉ० शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि नैतिकता ही वह गुण है जो बच्चों को सामाजिक प्राणी बनने में मदद करता है। नैतिकता ही व्यक्ति को कर्तव्यों का ज्ञान कराती है तथा परिवार, समाज, समूह के नैतिक मूल्यों को स्वीकारना तथा सामाजिक रीति-रिवाज, परम्पराओं व धर्म का पालन करना सिखाती है। बच्चे में नैतिक मूल्यों का विकास करने या उनमे संस्कार डालने की प्रथा आज से नहीं बल्कि आदि काल से चली आ रही है। हमारे धर्म ग्रंथो का यही उद्देश्य रहा है कि वह व्यक्ति के अन्दर नैतिक गुणों का विकास करें ताकि व्यक्ति स्वयं को तथा दूसरों को सही मार्ग दिखा सके। यही वजह है कि हमारे देश के संस्कार और परम्पराओं का महत्व अन्य देश भी बखूबी जानते एवं समझते है। नैतिक मूल्यों से बच्चे के सुंदर चरित्र का निर्माण होता है तथा समाजीकरण की भावना का विकास होता है जिससे वह समाज विरोधी कार्यों को करने से डरता है। नैतिकता बच्चे के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होती है। जिससे आचरण व व्यवहार निर्धारित होते है। नैतिक मूल्यों एवं उच्च आदर्शों से बच्चे मे आत्मविश्वास व आत्मचेतना मजबूत होती है। जिससे उसमे समस्या के समाधान के लिए सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता पैदा होती है। नैतिक मूल्य ही सही अर्थो में संस्कार का बीज रोपित करते है। जिसकी समाज को सर्वाधिक जरूरत है। इसलिए नैतिक मूल्यों के माध्यम से ही समाज के पतन को रोका जा सकता है। नैतिकता के बल पर ही समृद्व समाज की कल्पना साकार हो सकती है। मार्गदर्शक मण्डल के संरक्षक चौधरी हरबीर सिंह ने डॉ० चौहान की बातों की सार्थकता को एक मिशन के रूप मे अपनाने की बात कही। इस अवसर पर शिक्षाविद्व ठाकुर सत्यपाल सिंह, मास्टर इलम सिंह, वीर विक्रम सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यकारिणी मे विकास कुमार, डॉ० प्रेम सिंह, डॉ० भरत सिंह, बिजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे। संचालन महिला मण्डल की संयोजिका डॉ० सविता सिंह ने किया।

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