हरिद्वार

दिव्यात्मा थे साकेतवासी महंत रामकिशन दास: महंत रविंद्र पुरी

महंत परमेश्वर दास महाराज बने चित्रकूट धाम के परमाध्यक्ष

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। सभी तेरह अखा़ड़ों के संत महापुरूषों ने सप्तऋषि क्षेत्र स्थित चित्रकूट धाम के परमाध्यक्ष साकेतवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि समारोह के दौरान संत समाज के सानिध्य में साकेवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज के शिष्य स्वामी परमेश्वर दास को श्री रामानन्दीय विरक्त वैष्णव समिति ऋषिकेश अखाड़ा परिषद षड़दर्शन साधु समाज द्वारा तिलक चादर प्रदान कर आश्रम का महंत नियुक्त किया गया। श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति एवं दिव्यात्मा थे। धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। आश्रम के नवनियुक्त महंत परमेश्वर दास महाराज को शुभकामनाएं देते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत समाज को पूर्ण विश्वास है कि महंत परमेश्वर दास महाराज अपने गुरूदेव साकेतवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए धर्म प्रचार के साथ मानव सेवा में योगदान करेंगे। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज विद्वान संत थे। उन्होंने कहा कि चित्रकूट धाम के नवनियुक्त महंत परमेश्वर दास महाराज अपने गुरूदेव के अधूरे कार्यो को पूरा करने के साथ संत सेवा में भी योगदान करेंगे। रामानन्दीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष महंत नारायण दास पटवारी व महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि तपस्वी संत श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज ने जीवन पर्यन्त श्रद्धालु भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्मक के मार्ग पर अग्रसर करने में अभूतपूर्व योगदान दिया। आश्रम के नवनियुक्त महंत परमेश्वर दास महाराज भी अपने गुरूदेव की भांति ही उच्चकोटि के संत हैं। उनके सानिध्य में चित्रकूट धाम सेवा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित होगा। उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए महंत परमेश्वर दास महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव साकेतवासी श्रीमहंत रामकिशन दास महाराज से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा परंपरा का विस्तार करना और संत महापुरूषों की सेवा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। इस अवसर पर महंत दुर्गादास, महंत अरूणदास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत ईश्वर दास, भक्त दुर्गादास, बाब हठयोगी, महंत विष्णु दास, स्वामी महेंद्रदास, स्वामी परमेश्वरदास, महंत प्रेमदास, महंत हरिदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी योगेंद्रानंद, स्वामी अनंतानंद, महंत प्रेमानंद, महंत प्रहलाद दास, महंत बिहारी शरण, महंत रामानंद सरस्वती, स्वामी अंकित शरण सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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