हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्माउत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की दिनांक घोषित हों चुकी हैं। आचार संहिता लागू हो चुकी है। इस बार के चुनाव में कोरोना औऱ ओमिक्रोन जैसी महामारी से जूझना भी अलग चुनौती है। इसके लिये प्रशासन के ओर से कदम उठाते हुवे राजनीति दलों को दिशा निर्देश दिए गए है। जिसके अनुसार घर घर प्रचार के लिये सीमित लोगो को साथ चलने की बात कही। सोशल मीडिया के समय वाट्सप भी चुनाव प्रचार का अच्छा विकल्प है। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार से लोगो को शिकायत रही कि त्रिवेंद्र रावत और तीर्थ सिंह रावत के कार्यकाल में राज्य की विकास गति संतोषजनक नही रही। हालांकि अंतिम ओवर में मुख्यमंत्री धामी के कार्यकाल से राज्य में कुछ विकास कार्य अवश्य हुवे। कुछ दिन पहले देहरादून में राहुल गांधी की रैली में जिस प्रकार जनता की भीड़ देखने को मिली उससे पिछले 5 साल में कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों की मेहनत दिखाई दी। उत्तराखंड के इतिहास में अब तक भाजपा और कांग्रेस की ही सरकार रही जिसमे दोनों ने बारी बारी से अब तक उत्तराखंड में राज किया। अब तक दोनों में से किसी भी दल ने लगातार दो बार सरकार नही बनाई। उत्तराखंड में लगातार रोजगार का मुद्दा रहा है जिसमे स्थानीय जनता को संतोषजनक परिणाम नही मिला। उत्तराखंड की जनता का कहना है कि जैसा कार्य धामी के कार्यकाल में हुवा उसको देखते हुवे उन्हें पूरे 5 साल मिलने चाहिए थे। इस बार के चुनाव मे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी कर्नल कोठियाल के भरोसे उत्तराखंड में सरकार बनाने में दिन रात जुटी हुई है। आम आदमी पार्टी की ओर से विधानसभा क्षेत्र में अपने विधायक प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। इस बार उत्तराखंड की वो जनता जिन्हें भाजपा और कॉंग्रेस के अलावा नया विकल्प चाहिए उन्हें आम आदमी पार्टी मिलेगी।
जिन्होंने 300 यूनिट मुफ्त बिजली महिलाओं को 1 हजार रुपये महीना आदि घोषणाओं से जनता को आकर्षित करना शुरू किया हुवा है। इस वजह से इस बार उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता दिख रहा है। आम जनता को चाहिए कि अपने दैनिक कार्यो से ज्यादा मतदान को प्राथमिकता देनी चाहिए। जो लोग विभिन्न कारणों से चुनाव में मतदान करना जरूरी नही समझते उन्हें भविष्य में किसी सरकार या प्रशासन के द्वारा किये गए विकास कार्यो में कमी निकालने का अधिकार नही होता। मतदान करना न सिर्फ जनता का अधिकार है बल्कि समाज के विकास हेतु उसका कर्तव्य भी है।