9 वें दिन श्रीराम कथा का हुआ विश्राम, राम कथा मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देती है: स्वामी रामभद्राचार्य
कथा के विश्राम दिवस के दिन उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने आज 9 वें दिन श्रीराम कथा को विश्राम देते हुए कहा कि श्री राम कथा मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। गंगा रूपी श्री राम कथा अपने पुण्य प्रवाह से लोगों का उद्धार करती हैं। श्री राम कथा जनरूपी गंगा है। उन्होंने कहा कि श्री राम कथा जीवन जीने की एक उत्तम कला है। भगवान श्री राम ने अपने जीवन में जो आदर्श स्थापित किए, वे समाज को प्रेरणा देने वाले हैं। इसलिए भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाए। भगवान श्री राम और सीता माता के अलौकिक जीवन का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम ने सीता माता की तुलना में देवी देवी से की वहीं उन्होंने समाज में जन आकांक्षाओं को स्थापित करने के लिए सीता माता की अग्नि परीक्षा भी कराई और अग्नि भी चंदन बन गई यानी प्रभु राम की कृपा से अग्नि ने भी शीतलता प्राप्त कर ली। प्रभु राम के अलौकिक और दिव्य रूप का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम कमल के समान सुंदर हैं, तभी उनके नयनों को कमलनयन कहा गया है। प्रभु श्री राम ऐसे अवतार महापुरुष हैं, जो भक्तों की कृपा से तृप्त है। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि प्रभु राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की और असत्य पर सत्य की विजय हुई। और विभीषण ने राम रूपी गंगा में स्नान करके अपने जीवन को धन्य कर दिया। भगवान श्री राम ने लंका से अयोध्या जाने से पूर्व अग्निदेव से अपनी सीता को प्राप्त किया। और प्रभु राम सीता माता, लक्ष्मण भ्राता, हनुमानजी विभीषण सुग्रीव आदि को लेकर पुष्पक विमान से लंका से अयोध्या की ओर प्रस्थान कर गए। जहां उनके भ्राता भरत और उनकी माताएं तथा अयोध्या की प्रजा उनकी प्रतीक्षा कर रही थी और अयोध्या नगरी में चारों ओर हर्षोल्लास था। और और भगवान राम का राजतिलक हुआ और अयोध्या में राम राज्यकी स्थापना हुई। आज कथा का शुभारंभ मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा और अचिन अग्रवाल, मुख्य संयोजक नितिन माना, नमित गोयल, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अंकित गोयल, अखिलेश शिवपुरी गगन गौरव गुप्ता पराग गुप्ता अरविंद अग्रवाल भगवत शरण अग्रवाल दीपक बंसल आशीष मनीष बंसल आदि ने पूजा में भाग लिया। कथा का संचालन राघव परिवार के अभिनंदन गुप्ता ने किया।