हरिद्वार

निर्धन निकेतन आश्रम में श्रीमद्भावगत कथा के शुभारंभ पर निकाली कलश यात्रा

समाज को धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका: स्वामी ऋषि रामकृष्ण

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(रवि चौहान) हरिद्वार। खड़खड़ी स्थित श्री निर्धन निकेतन आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज के संयोजन में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कथा के शुभारंभ से पूर्व श्री निर्धन निकेतन घाट से कथा पंडाल तक संत महापुरूषों के सानिध्य में कलश यात्रा निकाली गयी। कथा के शुभारंभ पर श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए बाबा हठयोगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परम कल्याणकारी है। कथा के श्रवण और मनन करने और कथा के अनुसार आचरण करने से जीवन बदल जाता है। श्रद्धालु भक्तों के कल्याण के लिए श्रीमद्भागवत का आयोजन कर स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने सराहनीय कार्य किया है। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान की गंगा है। ज्ञान और भक्ति प्रदान करने वाली श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण करने मात्र से जीवन भवसागर से पार हो जाता है। श्रीमहंत ईश्वरदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भावगत कथा मृत्यु का भय दूर कर मोक्ष प्रदान करती है। कथा के प्रभाव से व्यक्ति धर्म के मार्ग अग्रसर होता है। जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में संत महापुरूषों ने सदैव ही अहम भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परम् कल्याणकारी और गंगा के समान निरंतर बहने वाली ज्ञान की गंगा है। कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्रेरित होती है। सभी भक्तों को कथा श्रवण करने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि कथा श्रवण का लाभ तभी है। जब कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। कथा के अनुसार आचरण करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। इस अवसर पर महंत दुर्गादास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी शिवानंद भारती, महंत गुरमीत सिंह, स्वामी हर्षवर्द्धन, स्वामी चिदविलासानंद, महंत मोहन सिंह, महंत प्रेमदास, स्वामी कमलेशानन्द सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।

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