मिट्टी के बर्तनों से स्वास्थ्य लाभ के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास भी: रुचिता उपाध्याय
रवि चौहान हरिद्वार संवाददाता
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(रवि चौहान) हरिद्वार। आधुनिक युग में तेजी से बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतों के चलते लोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इस संदर्भ में मिट्टी के बर्तन एक अद्भुत विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। आयुर्वेद में वर्णित सिद्धांतों के अनुसार, भोजन को धीमी आंच पर पकाने और प्राकृतिक बर्तनों के उपयोग से न केवल भोजन की पौष्टिकता बढ़ती है बल्कि यह स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव भी डालता है। इसके साथ ही, मिट्टी के बर्तन कुम्हारों और ग्रामीण समुदायों के लिए आजीविका का एक सशक्त माध्यम हैं। मिट्टी के बर्तनों से जुड़े स्वास्थ्य लाभ, पर्यावरणीय महत्व, और उनके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर विस्तार से बता रही हैं प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान प्रमोटर एवं इंटर्न पतंजलि वैलनेस संस्थान रुचिता उपाध्याय।
1.मिट्टी के बर्तनों में पकाए भोजन के स्वास्थ्य लाभ
धीमी आंच पर पकने वाला भोजन सबसे पौष्टिक
आयुर्वेद में कहा गया है कि भोजन धीरे-धीरे पकने से उसके पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने की प्रक्रिया धीमी होती है, जिससे भोजन का प्राकृतिक स्वाद और पोषण तत्व बरकरार रहते हैं। आधुनिक शोधों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उच्च तापमान पर भोजन पकाने से प्रोटीन और विटामिन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके विपरीत, मिट्टी के बर्तनों में पकने वाले भोजन में ये तत्व सुरक्षित रहते हैं, जो शरीर को खतरनाक बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
100% पोषक तत्वों की प्राप्ति
अन्य धातुओं जैसे एल्यूमिनियम, पीतल, या कांसे के बर्तनों में खाना पकाने की तुलना में मिट्टी के बर्तनों में 100% पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, मिट्टी के बर्तनों में पकाया गया खाना शरीर को सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करता है, जो हड्डियों की मजबूती, पाचन सुधार और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
मिट्टी की खुशबू और जायका
मिट्टी के बर्तन में पकने वाले भोजन में सौंधी खुशबू और मिट्टी की प्राकृतिक स्वाद का समावेश होता है। यह विशेषता भोजन को अधिक स्वादिष्ट और जायकेदार बनाती है। उदाहरण के लिए, मिट्टी के कुल्हड़ में चाय या हांडी में बनी बिरयानी का स्वाद अनूठा होता है।
विषैले तत्वों से बचाव
एल्यूमिनियम और प्रेशर कुकर जैसे बर्तनों में पकाने से भोजन में जहरीले तत्व आ सकते हैं, जो टी.बी., डायबिटीज, और अस्थमा जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करके इन खतरों से बचा जा सकता है।
2. पर्यावरणीय अनुकूलता
मिट्टी के बर्तन पूरी तरह से जैव-अपघटनीय (बायोडिग्रेडेबल) होते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। इन बर्तनों का उत्पादन ऊर्जा की खपत को भी कम करता है।
3. सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
कुम्हारों और ग्रामीण समुदायों की आजीविका
मिट्टी के बर्तनों का उपयोग बढ़ने से कुम्हार समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। आधुनिक बर्तनों की बढ़ती मांग के चलते कुम्हारों का व्यवसाय पिछड़ रहा है। मिट्टी के बर्तनों को पुनः प्रचलन में लाकर इन समुदायों को सशक्त बनाया जा सकता है।
कुटीर उद्योग को बढ़ावा
मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन छोटे स्तर पर किया जाता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देता है। इस उद्योग से जुड़े लोग अपनी कला और परंपराओं को जीवित रखते हुए अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
रोजगार सृजन
मिट्टी के बर्तनों के उत्पादन और बिक्री में वृद्धि से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से ये बर्तन आसानी से ग्राहकों तक पहुंचाए जा सकते हैं।
4. आधुनिक जीवनशैली में मिट्टी के बर्तन
दूध और दुग्ध उत्पादों के लिए आदर्श
मिट्टी के बर्तन दूध और दुग्ध उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। मिष्टी दोई, दही, और गरम दूध जैसे व्यंजन मिट्टी के बर्तन में अधिक स्वादिष्ट लगते हैं।
पारंपरिक और आधुनिकता का संगम
मिट्टी के बर्तनों का उपयोग भारतीय परंपरा का हिस्सा है। आधुनिक समय में इनका उपयोग डाइनिंग टेबल पर पारंपरिक और आकर्षक रूप देने के लिए किया जा सकता है।
5.अनुसंधान एवं अध्ययन
आयुर्वेद और विज्ञान का दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को पकाते समय उसे सूर्य के प्रकाश और हवा का संपर्क मिलना चाहिए। मिट्टी के बर्तन इस प्रक्रिया को सक्षम बनाते हैं। हाल के वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि धीमी आंच पर पकाए गए भोजन में पोषण तत्व अधिक मात्रा में सुरक्षित रहते हैं। वैश्विक स्तर पर भी मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ रही है। कई देशों में भारतीय मिट्टी के बर्तन निर्यात किए जा रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जन में भी सहायता मिल रही है।
मिट्टी के बर्तन स्वास्थ्य, पर्यावरण, और समाज के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। ये न केवल हमारे भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाते हैं, बल्कि कुम्हार समुदायों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण साधन भी हैं। इनके उपयोग से हम आधुनिक जीवनशैली में पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित कर सकते हैं। मिट्टी के बर्तनों को प्रोत्साहित करना न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का एक तरीका है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को निभाने का भी माध्यम है। ऐसे में यह समय है कि हम अपने रसोईघर में इन प्राकृतिक और परंपरागत बर्तनों को स्थान दें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।