पुण्य भूमि का रक्षा कर स्वामी श्रद्धानन्द के सपने हो साकार
फिल्म स्टार विवेक ओबरॉय को विशिष्ठ अतिथि बनाना संदेहास्पद: राम विशाल दास
हरिद्वार की गूंज (247)
(राजेश कुमार) हरिद्वार। राम विशाल दास अध्यक्ष तीर्थ सेवा न्यास ने जारी प्रेस बयान में कहा कि हरिद्वार की वह काँगड़ी गाँव स्थित वह पुण्य भूमि, जहां स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल की स्थापना कर शिक्षा और सांस्कृतिक उत्थान का महान कार्य प्रारंभ किया था। आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। यह भूमि भारतीय संस्कृति और शिक्षा के गौरवशाली इतिहास की साक्षी है। लंबे समय से इस भूमि का उपयोग कृषि कार्य हेतु ठेके पर किया जाता रहा है, जो इसके मूल उद्देश्य से भटकाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ जागरूक युवाओं ने इस भूमि के संरक्षण और इसके पुनर्जीवन की मांग उठाई, जिसके परिणामस्वरूप गुरुकुल की संस्था सक्रिय हुई है। 23 दिसंबर को स्वामी श्रद्धानन्द जी के बलिदान दिवस पर यहां एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है, जिसमें प्रदेश और देश के कई वरिष्ठ नेता, मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हो रहे हैं। हालांकि इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में फ़िल्म स्टार और व्यवसायी विवेक ओबरॉय को आमंत्रित करने पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनका आर्य समाज से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। इसके अतिरिक्त, इस भूमि के निकट एक रिसॉर्ट का संचालन नियमों की अनदेखी करते हुए किया जा रहा है, जिसमें उनकी भागीदारी की चर्चाएं हैं। ऐसे में यह संदेह उठना स्वाभाविक है कि कहीं इस पुण्य भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए किसी व्यक्ति, संस्था या कंपनी को सौंपने की कोई योजना तो नहीं बनाई जा रही। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस पुण्य भूमि का उपयोग किसी भी व्यावसायिक या निजी लाभ के लिए किया गया तो संपूर्ण संत समाज और आर्य समाज की संस्थाएं एकजुट होकर इसका सशक्त विरोध करेंगी। यह भूमि केवल स्वामी श्रद्धानन्द जी के सपनों और उद्देश्यों को साकार करने के लिए समर्पित होनी चाहिए। यदि यह आयोजन स्वामी श्रद्धानन्द जी को श्रद्धांजलि देने और उनके महान कार्यों को सम्मानित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, तो हम इसका स्वागत करते हैं।
हमारी निम्नलिखित मांगें हैं:
इस पुण्य भूमि का संरक्षण और इसके ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। गुरुकुल के पुनर्निर्माण और पुनर्जीवन की विस्तृत योजना तैयार की जाए। इस भूमि का उपयोग स्वामी श्रद्धानन्द जी के शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को साकार करने के लिए किया जाए। उन्होंने कहा कि संत समाज, आर्य समाज और सभी जागरूक नागरिकों से अपील करते हैं कि वे इस पुण्य भूमि के सम्मान और संरक्षण के लिए सतर्क रहें। यह भूमि स्वामी श्रद्धानन्द जी के आदर्शों का केंद्र बने, यही हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यदि इस भूमि के मूल उद्देश्य के विपरीत कोई भी कार्यवाही होती है, तो इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन किया जाएगा।