हरिद्वार

अन्तः प्रवाह संस्था की साहित्य एवं काव्य गोष्ठी

बहुत कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनो तो कहूँ...

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हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अक्षय कुमार) हरिद्वार। नगर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं‌ शामिल अन्त: प्रवाह संस्था की ओर से आज एक काव्य एवं साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संसदथा के अध्यक्ष संजय हाँडा के अभिषेक नगर कालोनी (कनखल) स्थित निवास पर आयोजित गोष्ठी में शामिल कवियों और साहित्यकारों ने जहाँ एक ओर विभिन्न विधाओं में अपनी-अपनी काव्य रचनाओं का पाठ किया, वहीं साहित्य से जुड़े अनेक विषयों पर सार्थक विचार एवं विमर्श भी किया गया। काव्य गोष्ठी के अन्तर्गत कविता पाठ करते हुए डा. पुष्पा रानी वर्मा ने हिंसा की नागफनी उग आई घर के चौबारे में अरुण कुमार पाठक ने बहुत कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनो तो कहूँ, प्रशांत कौशिक ने आँखें जो पूछती हैं, तू ना भी दे जवाब’,प्रोफैसर (डा.) श्रवण शर्मा ने ‘तेरा इश्क है, मेरी ज़िन्दग़ी’, डा. राधिका नागरथ ने ‘लो हमने सुधारस पी लिया, कोई भला कहे या कहे बुरा’, जोश कवि अरविन्द दुबे ने ‘नकाबों से घूस लेकर आईने मौन रहते हैं’, ज्योति शर्मा ने अपनी रचना ‘इन दिनों जब उपन्यास लिखने की कोशिश में हूँ’, विवेक ने ‘खुदा रूठ न जाए, खुदाई के चर्चे होते रहने चाहिए’ जैसी रचनाएँ सुना कर श्रोताओं की ख़ूब तालियाँ और वाहवाही लूटी। गोष्ठी के मेजबान संजय हांडा ने महाकवि कालीदास पर आपने विचार प्रस्तुत करते हुए आज के युग में उनकी प्रसंगिकता को सिद्ध किया। गोष्ठी के सभी प्रतिभागियों ने धर्मनगरी हरिद्वार में साहित्य के प्रचार-प्रसार व संरक्षण के लिये कार्य कर रहीं सभी संस्थाओं‌ एक साथ लेकर एक बड़ा साहित्यिक आयोजन करने के प्रस्ताव पर अपनी एकमत सहमति व्यक्त की।‌ उल्लेखनीय है, कि अन्तः प्रवाह संस्था कि गुरुकुल कांगड़ी सम-विश्वविद्यालय के साथ मिलकर वर्ष 2020 में तीन दिवसीय ‘हरिद्वार साहित्य समारोह का आयोजन कर चुकी है। विघ्नविनाशक गणेश के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन के साथ प्रारम्भ हुई इस गोष्ठी में निधि हांडा, अशिमा श्रवण, डा. नरेश मोहन शर्मा, अनुराग जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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