पति पत्नी के पवित्र रिश्ते में एक दूसरे प्रति विश्वास का होना अति आवश्यक
विवाह कोई बंधन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन भी होता है: श्वेता शर्मा

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। वरिष्ठ समाजसेविका श्वेता शर्मा ने हरिद्वार की गूंज समाचार पत्र से ख़ास बातचीत में बताया कि आज देश भर में विवाह के पवित्र बन्धन में क्या होता जा रहा है। आए दिन विवाह के पवित्र बन्धन में बंधने वाले पति पत्नी मामूली सी बातों पर रिश्तों को तार तार कर रहे हैं। जो भविष्य के लिए चिन्ता का विषय है। खून पसीने से धन दौलत कमाने वाले माता पिता अपनी औलाद के बेहतर भविष्य के लिए स्वयं कितने सुखों का त्याग कर देते हैं। ताकि उनकी सन्तान को किसी तरह से कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। अपने बच्चों के बचपन से लेकर उनकी बेहतर शिक्षा , अच्छा खान पीन के साथ ही हर प्रकार की सुख सुविधाओं के लिए माता पिता न जाने कितना संघर्ष करते हैं। वहीं समाज में अपनी प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखते हुए अपने बच्चों को अच्छे स्कूल, कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करवा रहे हैं। लेकिन आज की पीढ़ी ऊंचाइयों पर तो रही है तो वहीं कहीं न कहीं कई जगह युवा पीढ़ी गलत रास्तों पर चल कर अपने माता पिता समाज की मान मर्यादाओं की सारी हदें पार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। जो भविष्य के लिए बड़ी चिन्ता का विषय है। आज कई जगह बच्चे अपनी नादानी में मनमानी कर फ़िज़ूल के रिश्तों पर भरोसा कर अपनी अच्छी खासी जिन्दगी में बड़ी परेशानियां पैदा कर रहे हैं। जबकि परिवार के प्रति आज बच्चों में कोई जिम्मेदारी नहीं दिखाई देती। वहीं किसी पर भी भरोसा करने वाले बच्चे खुद को समझदार मानते हुए अपना जीवनसाथी स्वयं चुन लेते हैं। जो भविष्य में दुखदाई साबित हो रहे हैं। आज पति पत्नी के बीच मामूली कहासुनी पर एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं। जबकि पति पत्नी के पवित्र बन्धन में बंधने के बाद जीवन भर सुख दुःख के साथी बन रिश्तों को मधुर और मजबूत बनाने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन न जाने आज की पीढ़ी सारी लोक लाज को दर किनार कर सिर्फ पति पत्नी के रिश्तों का तमाशा बना रहे हैं। युवा पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि उनके माता पिता ने कितना संघर्ष कर उनके भविष्य को बेहतर बनाने का फ़र्ज़ निभाया है। अच्छे लोगों के साथ दोस्ती करना कोई गलत नहीं है। लेकिन अपने जीवन का कोई भी फैसला स्वयं करने से पहले अपने माता पिता परिवार में मशवरा जरूर करना चाहिए। क्योंकि माता पिता परिवार आपको सही दिशा दिखाने में मददगार होते हैं। वैवाहिक जीवन में पति पत्नी को अपनी पूर्ण जिम्मेदारी एवं ईमानदारी से एक दूसरे का साथ देना चाहिए। न कि किसी के बहकावे में आकर रिश्तों को खत्म करना चाहिए। जबकि आज भी कई जगह पति पत्नी गरीबी में भी एक दूसरे के साथ मिलकर हर परिस्थिति का सामना करते हुए सुखमय जीवन जी रहे हैं। पति पत्नी के बीच सिर्फ एक दूसरे के लिए प्रेम होना चाहिए।