देश की बेटी क्रांतिकारी शालू सैनी ने रचा इतिहास, अज्ञात शवों को न कहे लावारिस, मैं हूं इन सबकी वारिस
इमरान देशभक्त रुड़की प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रुड़की। इंसानियत की जीती जागती तस्वीर क्रांतिकारी शालू सैनी ने मुस्लिम लावारिस मृतक को अपना नाम देकर कब्रिस्तान में किया सुपुर्दे खाक किया। क्रांतिकारी शालू सैनी अब तक कोरोना काल से अब पांच हजार से अधिक मृतकों को अपना नाम देकर विधि-विधान से अंतिम बिदाई दे चुकी है। क्रांतिकारी शालू सैनी सभी धर्म के धर्मानुसार विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार करती है। मुजफ्फरनगर में सड़क पर ठेला लगाने वाली सिंगल मदर समाज सेवा में कीर्तिमान स्थापित करने वाली पहली महिला ने समाज सेवा में अपने नाम की अलग ही पहचान बनाई हैं। शहर के मौहल्ला दक्षिणी कृष्णा पुरी निवासी साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी ने समाज सेवा करने में सबका रिकॉर्ड तोडने में कामयाबी हासिल की है।पहले क्रांतिकारी शालू सैनी को साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जाना जाता था,मगर समाज सेवा के क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा उठाये गये एक कदम ने उनको प्रदेश के साथ-साथ समूचे देश में लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध कर दिया है।बता दें कि यह उपल्बधि चंद समय में ही हासिल कर ली गई,वहीं समाज सेवा करने में अभी तक जनपद से किसी भी समाज सेवक का नाम गिनीज बुक में दर्ज नहीं हो पाया है,मगर क्रांतिकारी शालू सैनी ने यह उपल्बधि भी हासिल कर ली है।समाज सेवा तो क्रांतिकारी शालू सैनी बहुत पहले से करती आ रही है,मगर लॉक डाउन के समय में लोगों का दर्द सहन नहीं हो पाया और अपना जीवन समाज सेवा के लिए अर्पण करने की उन्होंने अपने मन में ठान ली।क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा समाज सेवा करने के लिए मन से लिए गये फैसले व सुदृढ निश्चय के कारण ही आज लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी हजारों करोडो की संख्या में फैंस उनको अपना आइडियल मानते हैं और उनके बताये गये रास्तों को अपने जीवन में उतारकर क्रांतिकारी शालू सैनी के आदर्शों पर चलना चाहते हैं।शहर के थाना कोतवाली क्षेत्र से मुस्लिम लावारिस लाश की सूचना पर क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा मौके पर जाकर लावारिस को अपनाते हुए उसको अपना नाम दिया और विधि-विधान पूर्वक कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया।क्रांतिकारी शालू सैनी की इस सेवा से अपने प्रदेश ही नहीं पडोसी राज्यों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि एक महिला होने के बावजूद समाज सेवा के प्रति इस कदर पागल होना और महिलाओं के एक मिशाल बनकर उभरना काबिले तारीफ है,साथ ही उन्होंने जनता से अपील भी की कि अंतिम संस्कार की सेवा में इच्छानुसार कोई भी डैनी ने अपना सहयोग कर सकता है।