हरिद्वार

बदलते रिश्तो में गाँव के संस्कार और परंपरा से समझौता नही: प्रखर कश्यप

गगन शर्मा सह सम्पादक

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। बदलाव प्रकृति का नियम है, लेकिन अपने स्वार्थ के लिए अपने संस्कार और परंपरा से समझौता करना समझदारी है। आजकल युवा फिल्मो को देखकर अपने स्वार्थ के लिए गाँव के संस्कार को दूषित करने से परहेज करने नही कर रहे है। जिसके चलते हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र के अजीतपुर गांव की जनता मे रोष देखा गया है। यहाँ के ग्राम प्रधान प्रखर कश्यप के अनुसार प्रेम और विवाह के फैसलों में जो युवा नई राहें चुन रहे हैं, क्या वो उन पीढ़ियों के प्यार और त्याग को भुला सकते हैं जिन्होंने हमें यह गाँव, यह पहचान दी है?
प्रखर कश्यप ने कहा कि उनका गाँव जो कभी एक बड़ा परिवार माना जाता था, जहाँ हर लड़का-लड़की भाई-बहन समान थे। वहाँ आज रिश्ते सिर्फ़ व्यक्तिगत पसंद तक सिमटकर रह गए हैं। उनके अनुसार प्रेम करना बुराई नही मगर गाँव और परिवार की इज़्ज़त, समाज की मर्यादा, पुरानी परंपराओं का ध्यान रखना भी जरूरी है। कोई भी रिश्ता सिर्फ़ दो लोगों का नहीं होता, यह दो परिवारों और पूरे गाँव का मान होता है। फैसले वो जो आपको खुशी दें, पर उन रिश्तों को ठेस न पहुँचाएँ जो आपको ज़मीन से जोड़े रखते हैं। यह सामाजिक बदलावों को दर्शाता है। पहले के सामाजिक नियम और परंपराएँ अलग थीं, जिनमें एक ही गाँव के लड़के लड़कियों को अक्सर भाई बहन माना जाता था। यहाँ तक की शादी करते हुए ख्याल रखा जाता था कि एक ही जाति में वर वधु के गोत्र एक न हो। आजकल, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, शिक्षा, और शहरीकरण के प्रभाव के कारण युवाओं के विचारों में परिवर्तन आया है। वे अपने जीवनसाथी का चुनाव खुद करने लगे हैं, और प्रेम विवाह के मामलों में पारंपरिक सामाजिक मान्यताओं को चुनौती दे रहे हैं। इससे भविष्य में आने वाली पीढी का भविष्य अंधकार मे होगा।

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