फिर एक बार मानवता हुई शर्मसार, कूड़े के ढेर में फेंका मासूम बच्ची को
क्रांतिकारी शालू सैनी ने दी ससम्मान अंतिम विदाई

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रुड़की। क्रांतिकारी शालू सैनी को तितावी थाना क्षेत्र से मिली जानकारी पर, जिसने इंसानियत का कलेजा चीर कर रख दिया। हम जहाँ एक ओर बेटियों को देवी का रूप मानते हैं, वहीं दूसरी ओर किसी पाषाण हृदय ने अपनी एक दिन की दुधमुंही बच्ची को कूड़े के ढेर में मरने के लिए छोड़ दिया।मर्माहत कर देने वाला दृश्य सूचना के अनुसार, तितावी पुलिस को कूड़े के ढेर में एक दिन की नवजात बच्ची का शव मिला, जिसे आवारा कुत्ते नोच रहे थे।वह नन्ही परी, जिसने अभी ठीक से दुनिया की हवा भी महसूस नहीं की थी, अपनों की बेरुखी और क्रूरता की भेंट चढ़ गई। पुलिस की सूचना पर क्रांतिकारी शालू सैनी तुरंत मौके पर पहुँची।शालू सैनी ने निभाया ‘अपनों’ का फर्ज, जब उस मासूम का कोई अपना मां की गोद में सुलाने वाला नहीं था, तब क्रांतिकारी शालू सैनी ने आगे बढ़कर एक अभिभावक का धर्म निभाया।शालू ने नम आँखों से बच्ची के क्षत-विक्षत शव को संभाला और पूरी विधि-विधान व ससम्मान उसका अंतिम संस्कार किया। साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी ने भावुक होते हुए कहा कि आज शब्द कम पड़ रहे हैं और आँखें नम हैं। उस मासूम का कसूर क्या था?अगर वह इस दुनिया में नहीं चाहिए थी, तो उसे किसी अस्पताल या अनाथालय के पालने में छोड़ देते, पर उसे कुत्तों के आगे नोचने के लिए फेंक देना इंसानियत की हार है। हमने आज केवल एक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया,बल्कि समाज की मर चुकी संवेदनाओं को अग्नि दी है। क्रांतिकारी शालू सैनी ने समाज के हर नागरिक से अपील की कि बेटियों को बोझ न समझें।ऐसी क्रूरता करने के बजाय संस्थाओं से संपर्क करें, ताकि किसी मासूम की जान और सम्मान दोनों बच सकें।क्रांतिकारी शालू सैनी पिछले कई वर्षों से लावारिस व बेसहारा मृतकों के अंतिम संस्कार की सेवा में लगी है और अब तक करीब छः हजार अंतिम संस्कार हिन्दू, मुस्लिम, सिख व ईसाई धर्मों के धर्मानुसार अपने हाथों से कर चुकी है।शालू ने जनता से अपील की है कि इच्छा अनुसार सभी योगदान जरूर करें। लकड़ी, घी, कफन, सामग्री, एम्बुलेंस गाड़ी जो भी सामर्थ्य हो, ताकि हर मृतक को सम्मानजनक अंतिम बिदाई मिल सके।











