हरिद्वार

राष्ट्र गौरव महाराणा सांगा की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन, श्रद्धांजलि की अर्पित

रवि चौहान हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रवि चौहान) हरिद्वार। आज राजपूत धर्मशाला कनखल में क्षत्रिय समाज के लोगों द्वारा राष्ट्र गौरव महाराणा सांगा की जयंती पर विशाल गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रतिभाग कर महाराणा सांगा को श्रद्धांजलि अर्पित की, और महानुभावों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करके पुष्पांजलि अर्पित करके की गई। पूर्व कुलसचिव गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय प्रोफेसर भारत भूषण जी ने कहा कि हम सभी हरिद्वार वासियों के लिए गर्व की बात है कि हम वीरता, शौर्य और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक महान योद्धा महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) की जयंती पर उन्हें सादर नमन करते हैं।

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महाराणा सांगा मेवाड़ के महान शासक थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, दूरदृष्टि और युद्धकौशल से विदेशी आक्रांताओं को मुंहतोड़ जवाब दिया। वे राजपूताना के गौरव और एकजुटता का प्रतीक रहे।खानवा के युद्ध में बाबर के विरुद्ध उनके नेतृत्व ने इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। विदेशी शक्तियों के सामने कभी झुके नहीं। उन्होंने अपार व्यक्तिगत क्षति सहकर भी अपना गौरव और सम्मान बनाए रखा। पूर्व प्रधानाचार्य ज्वालापुर इंटर कॉलेज रोहिताश्व कुंवर ने इस पावन अवसर पर कहा कि महाराणा सांगा का पूरा जीवन संघर्ष करते हुए बीत गया जिन्होंने मुगलों के खिलाफ सभी लड़ाइयों पर विजय प्राप्त की। महाराणा सांगा ने अपने युद्ध कौशल के माध्यम से सर्व समाज को जोड़ते हुए उन्हें साथ लेकर अनेकों लड़ाई लड़ी। हम सभी नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे इस तरह आयोजन में सपरिवार सम्मिलित होकर वीर महाराणा सांगा और अन्य महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारे। महाराणा सांगा सिर्फ एक योद्धा नहीं, बल्कि एक आदर्श राजा, कुशल प्रशासक और महान राष्ट्रभक्त थे।
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उनका जीवन आज भी युवाओं को शौर्य, पराक्रम और मातृभूमि के प्रति प्रेम की प्रेरणा देता है। महाराणा सांगा ने 100 से अधिक युद्धों में भाग लिया और कई बार घायल होने के बावजूद मैदान नहीं छोड़ा। उनके शरीर पर 80 से अधिक घावों के निशान थे, जो उनकी युद्ध क्षमता का प्रमाण हैं। उन्होंने हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। उनका जीवन धर्म और कर्तव्य की मिसाल है। इस अवसर पर यशपाल सिंह राणा जी ने राणा सांगा के संसद में हुए अपमान पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजने की बात कही। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ठाकुर अर्जुन चौहान, स्वामी ओमदास महाराज, राहुल चौहान, योगेश चौहान, अमितराज चौहान, अंशुल चौहान, अनिरुद्ध भाटी, पवन चौहान सलेमपुर,सौरभ चौहान, तरुण चौहान, बसंत चौहान सीतापुर, राहुल सिंह एडवोकेट, मां० धर्मेंद्र सिंह चौहान, सौरभ वत्स, अतुल चौहान, विवेक चौहान, दीपक चौहान, रूपराम चौहान, नेत्रपाल चौहान, मोहित चौहान, शेखर सिंह राणा, नितिन चौहान, चमन चौहान, सौरभ चौहान एडवोकेट, प्रदीप चौहान, डा बिजेंद्र सिंह चौहान, त्रिलोक चौहान, दीपक चौहान, मोनू चौहान, सन्नी राणा, प्रमोद राणा, रोहित चौहान, सचिन चौहान, अखिल चौहान, सोनू चौहान, नागेंद्र राणा, सूर्य प्रताप, विभांशु चौहान, विनीत चौहान, विजय कुमार, अर्चित चौहान, चंदन चौहान, विशाल चौहान, अक्षित चौहान, अक्षय चौहान, उमंग चौहान, जसवंतसिंह, आकाश चौहान, प्रयाग चौहान, शौर्य प्रताप, उपदेश चौहान, चंद्रशेखर राणा, सुशील पुंडीर, सतबीर सिंह राघव, उदय प्रताप, पराक्रम राणा, मयूर प्रताप, विपुल चौहान, अभिमन्यु चौहान, देवराज सिंह, देव सिंह, टिंकू चौहान, अभिलव चौहान, रामगोपाल,अमित तोमर आदि सैकड़ों की संख्या में प्रतिष्ठित महानुभाव पहुंचे।

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