रुड़की

पिरान कलियर मखदूम साबिर पाक के सालाना उर्स में हुआ आल इन्डिया मुशायरा, शायरों ने पढे नातिया कलाम

इमरान देशभक्त रुड़की प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रूड़की। हजरत मख्दूम साबिर पाक के 756-वें उर्स के मौके पर परम्परागत आल इंडिया नातिया मुशायरा खानकाह उस्मानी राही गेस्ट हाउस में पानीपत दरगाह मख्दूम जलालुद्दीन कबिरुल औलिया के सज्जादा नशीं शाह निसार अहमद उस्मानी की सदारत में हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने शिरकत की। उन्होंने इस मौके पर कहा कि हजरत साबिर साहब ने अपनी तमाम जिंदगी इबादत के साथ साथ मानवता, यतीमों, बेसहारा और मजलूम लोगों की खिदमत में लगा दी और एकता का पैगाम दिया, जो आज भी उनके दरबार से जारी है, जहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख और अनेक धर्मों के लोग अपनी आस्था प्रकट करते हैं। सज्जादा नशीं पानीपत हजरत निसार अहमद उस्मानी ने मुख्य अतिथि शमून कासमी और शायरों की दस्तारबंदी की। मुशायरा संयोजक व उर्स कमेटी के महासचिव अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी ने अध्यक्ष व मुख्य अतिथि का स्वागत किया और बताया कि उर्स के मौके पर होने वाले परम्परागत कार्यक्रम मुशायरा, महफिले किरात, जलसा उर्स कमेटी अपने स्तर से गत आठ वर्षों से करती आ रही है। कोई धनराधि दरगाह या वक्फ बोर्ड से नहीं ली जा रही। इस अवसर पर उर्स कमेटी के सदस्यों रियाज़ कुरैशी, नईम सिद्दीकी एड०, खिसाल उस्मानी, इमरान देशभक्त, कमाल उस्मानी, आकिब जावेद सलमानी, सलमान फरीदी, सैयद नफीसुल हसन, जमाल उस्मानी, अहमद कादरी, अब्दुल कुद्दुस ने अतिथियों का इस्तकबाल किया। नातिया मुशायरे में मलेरकोटला पंजाब से आये मशहूर शायर जमीर अली जमीर ने मोहम्मद साहब की शान में पढ़ा कि,,,,,
तूने उन लोगों के हक में भी दुआएं मांगी,
जो तेरी राह में कांटे थे बिछाने वाले,,
संयोजक अफजल मंगलौरी ने फरमाया कि,,,,,
हो मुबारक तुम्हें दुनिया की बहारें लोगों,
मेरे हिस्से में ये गूलर की हवा रहने दो,,
उस्ताद शायर अफरोज टांडवी ने पढ़ा कि,,,,,
इस दर पे आ के कोई मजहब नहीं बताता,
है एकता का जलवा साबिर तेरी गली में,,
कार्यक्रम का संचालन कर रहे उस्मान कैरानवी ने फरमाया कि,,,,,
मिलती है उसी दर से फकीरों को भी शाही,
तू ठोकरें खायेगा कहाँ मांग अरे मांग,,
कांधला से पधारे मशहूर शायर डॉ०जुनेद अख्तर ने यू बयान किया कि,,,,,
नूरे खुदा कहूँ कि ज़हूरे खुदा कहूँ,
हैरान हूं जमाले मोहम्मद को क्या कहूँ,,
देवबंद के प्रसिद्ध शायर नफीस देओबंदी ने अपना दर्द यू बयां किया कि,,,,,
एक दर्द सा उठता है अक्सर मेरे सीने में,
अल्लाह बुला ले तू मुझको भी मदीने में,,
शामली से आये शायर नवाज़िश नजर ने फरमाया कि,,,,,
कैसे न फिर मिठास हो मेरी जबान में,
मैं नात लिख रहा हूँ मोहम्मद की शान में,,
इसके अलावा जावेद आसी, राशिद देवबंदी, नफीसुल हसन आदि ने भी कलाम पेश किये।अंत में संयोजक अफजल मंगलौरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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