स्मरण श्रद्धा दिवस के मौके पर याद किए गए सिख पंथ के तीसरे गुरु अमरदास
गुरु अमरदास ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अलख जगाई: महंत ज्ञान देव सिंह
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। आज शुक्रवार को श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा के अवसर पर सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास को कनखल स्थित डेरा बाबा दरगाह सिंह तपस्थान गुरू अमरदास महाराज गुरुद्वारा में श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। गुरु महाराज के स्मरण दिवस के साथ ही डेरा के स्वर्गीय महंत महंत साधु सिंह महाराज, महंत रणवीर सिंह महाराज और महंत जसविंदर सिंह सोढ़ी महाराज का भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस अवसर पर गुरु ग्रंथ साहब के अखंड पाठ की अरदास की गई और भोग लगाया गया, साथ ही शबद कीर्तन व सन्तवाणी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी तादाद में साधु संत तथा शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। स्मरण श्रद्धा दिवस की अध्यक्षता करते हुए निर्मल पंचायती अखाड़ा के अध्यक्ष महंत ज्ञान देव सिंह महाराज वेदांती ने कहा कि गुरु अमरदास ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अलख जगाई। उन्होंने कहा कि तीसरे गुरु महाराज ने कनखल सती घाट में आकर तपस्या की और सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को बंद कराया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि सिख धर्म के सभी 10 गुरुओं ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया, और सनातन धर्म की रक्षा की उन्होंने कहा कि गुरुओं की वाणी हमेशा प्रासंगिक रहेगी। तीजी पातशाही तपस्थल गुरु अमरदास गुरुद्वारा के महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि गुरु अमरदास हरिद्वार के सती घाट कनखल में गंगा तट पर में 22 बार आए थे। 21 बार गुरु अमरदास गुरु बनने से पहले और 22वीं बार गुरु बनने के बाद यहां पर आए थे, और उन्होंने सामाजिक विरोधियों के खिलाफ जनता को जागरूक किया वे सच्चे अर्थों में एक महान समाज सुधारक थे। तप स्थान की संचालिका बीबी बिनिंदर कौर सोढ़ी ने कहा कि गुरु अमर दास जी ने सामाजिक समरसता के लिए लंगर प्रथा की शुरुआत की थी। इस अवसर पर महंत रवींद्र पुरी महाराज, महंत बलवंत सिंह महाराज, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी दयामूर्त्यानन्द महाराज, महंत रंजय सिंह महाराज, बीबी बिनिंदर कौर सोढ़ी, संजय महंत, स्वामी जगदीश महाराज, नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप चौधरी, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत अमनदीप, कोठारी महंत जसविंदर सिंह शास्त्री महाराज, संत जगजीत सिंह शास्त्री, समाजसेवी अतुल शर्मा काकू , दामिनी सोढ़ी, अमृत कोचर, मीनू शर्मा सोढ़ी, नीरव साहू आदि उपस्थित थे।