हरिद्वार

बच्चों की हुई छुट्टियां खत्म, बुक विक्रेताओं की मौज शुरू

चर्चा: अभिभावक की जेब से काटी जा रही है चांदी, कौन है जिम्मेदार?

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(ऋषभ चौहान) हरिद्वार। जहां शिक्षा को लेकर सरकार द्वारा बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं तो वहीं कुछ नीजि स्कूलों और बुक विक्रेताओं की मिली भगत से अभिभावकों की जेब से चांदी काटी जा रही है, जो शहर में एक चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां सरकार द्वारा बच्चों को शिक्षा के महत्व बताए जा रहे हैं, तो वही बुक विक्रेताओं की मनमानी अभिभावकों पर भारी पड़ रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं हरिद्वार धर्मनगरी की जहां बच्चों की छुट्टियां खत्म होते ही बुक विक्रेताओं की मौज शुरू हो गई है, तो वहीं शहर में चर्चा है कि कुछ नीजि स्कूलों के साथ बुक विक्रेताओं की मिली भगत से अभिभावकों की जेब से चांदी काटी जा रही है। शहर में चर्चा है की कुछ बुक विक्रेताओं ने स्कूली बच्चों के कोर्स पर पहले से ही कोर्स तैयार कर उस पर मूल्य लगा रखा हैं। जिससे अभिभावक अपने-अपने बच्चों का कोर्स लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि कुछ नीजि स्कूलों द्वारा उन बुक विक्रेताओं के नाम बताए जाते हैं जहां पर स्कूली बच्चों का कोर्स बड़े-बड़े दामों पर मिलता है, पर क्या करें अभिभावको की मजबूरी बन जाती है उस कोर्स को खरीदने की, क्योंकि कुछ नीजि स्कूलों द्वारा जगह-जगह अपने बुक स्टॉप बनाए हुए, जहां पर सिर्फ उसी नीजि स्कूल का कोर्स मिलेगा। शहर में चर्चा है कि शिक्षा विभाग द्वारा इन बुक विक्रेताओं पर छापेमारी कर मूल्य सूची लगवानी चाहिए, जो अभिभावकों कि जेब से चांदी काटी जा रही है उस पर लगाम लगाई जा सकें, जिससे हर कोई अभिभावक अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूलों में पढ़ा सकें।

वही इस विषय पर वरिष्ठ समाजसेवी सुनील सेठी से चर्चा की गई तो, उन्होंने कहा कि यह एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर हरिद्वार जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देखकर जांच की मांग की जाएगी। सुनील सेठी ने कहा कि आज के समय में अभिभावक को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ रहे हैं, कुछ तो नीजि स्कूलों की फीस दम तोड़ रही है, तो कुछ बुक विक्रेताओं के कोर्स के मूल्य अभिभावकों पर भारी पड़ रहे है, उन्होंने कहा की यह एक चिंता का विषय है, और जल्द ही हरिद्वार जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर कार्रवाई की मांग की जाएगी। अब देखना होगा कि क्या संबंधित विभाग इन बुक विक्रेताओं पर अपनी लगाम कसने में कामयाब होता है या नहीं, यह तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा।

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