हरिद्वार

आर्यसमाज गुरुकुल कांगड़ी ने मनाया आचार्य रामदेव निर्वाण दिवस

अविनाश गुप्ता हरिद्वार जिला प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अविनाश गुप्ता) हरिद्वार। आर्यसमाज एवं गुरुकुल कांगड़ी के सिद्धान्तों को देश-विदेश में प्रचारित करने वाले आचार्य रामदेव के निर्वाण दिवस को आर्यसमाज गुरुकुल कांगड़ी ने समारोहपूर्वक श्रद्धा के साथ हर्षोल्लास से मनाया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० रूप किशोर शास्त्री ने सभा की अध्यक्षता करते हुए अपने व्यक्त में कहा कि सन् १९२४ की भीषण बाढ़ में जब कांगड़ी ग्राम के पार बसे हुए प्राचीन गुरुकुल काङ्गड़ी को वर्तमान स्थल पर स्थानान्तरित किया गया और यहां की भूमि क्रय की गयी उसमें सर्वस्व योगदान आचार्य रामदेव जी का है। स्वामी श्रद्धानन्द महाराज ने सन् १९०२ में कांगड़ी ग्राम समीप गंगा नदी के पार चौधरी अमन सिंह से दान में भूमि को प्राप्त करके गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। सन् १९१७ में महात्मा मुंशीराम ने सन्यास ग्रहण करके स्वामी श्रद्धानन्द नाम धारण किया और वे गुरुकुल कांगड़ी छोड़कर देश की आजादी की बागडोर सम्भालने के लिए दिल्ली चले गये, इसके बाद वर्तमान गुरुकुल में मात्र तीन बार आये। अफ्रीका तथा फ्रांस आदि देशों में जाकर धन संग्रह करके आचार्य रामदेव ने यह वर्तमान गुरुकुल बनाया। इस प्रकार इस गुरुकुल को सम्भालने, सजाने और भिन्न-भिन्न विद्याओं का विकास करने का श्रेय आचार्य रामदेव को है। इस गुरुकुल में आर्यसमाज के सिद्धान्तों के अनुसार मात्र बालकों को शिक्षा दी जाती थी। बालिकाओं की शिक्षा का उचित प्रबन्ध करने के लिए आचार्य रामदेव ने देहरादून में कन्या गुरुकुल नाम से शिक्षण संस्थान खोला और सर्वप्रथम अपनी दोनों सुपुत्रियों को प्रविष्ट कराया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ० सुनील कुमार ने कहा कि जिस प्रकार भारतीय शिक्षा और संस्कृति के प्रचार में स्वामी श्रद्धानन्द का योगदान है उसी परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए आचार्य रामदेव का योगदान स्मरणीय रहेगा। विश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो० विनोद कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि आर्यसमाज के सिद्धान्तों को विस्तार रूप देने के लिए धन का कोई भी अभाव सामने नहीं आने दिया जायेगा, इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए माननीय कुलपति जी के आशीर्वाद से आर्य समाज ने एम्बुलेंस दान देकर सभी कर्मचारियों की समस्या का निदान किया है। गुरुकुल की स्थापना वैदिक सिद्धान्तों के प्रचार के लिए हुई थी, हम आज भी उन सिद्धान्तों को मजबूत बनाने के लिए कृत संकल्प हैं। वेद के आचार्य प्रो० मनुदेव बन्धु ने आचार्य रामदेव के कृतित्व तथा जीवन पर विशेष प्रकाश डालते हुए उनकी विद्वत्ता तथा उनके व्यवहार कुशलता पर प्रकाश डाला। शिक्षकेत्तर संघ के महामंत्री दीपक वर्मा ने कहा कि गुरुकुल के उद्देश्यों को आगे ले जाने के लिए हमारा पूरा संगठन कुलपति के साथ खड़ा हुआ है। शैक्षणिक वातावरण को दूषित करने वाले लोगों की उन्होंने कड़ी आलोचना की और कुलपति जी के साथ कदम से कदम बढ़ाने के लिए अपना समर्थन प्रदान किया। सभा में प्रो० सुरेन्द्र कुमार त्यागी, प्रो० सत्येन्द्र कुमार राजपूत, डॉ० उधम सिंह, पार्षद नागेन्द्र राणा, आर्यसमाज के महामंत्री रमेश शर्मा, उपमंत्री दीपक आनन्द, कोषाध्यक्ष अमित धीमान, डॉ० धर्मेन्द्र वालियान, आर्यसमाज जमालपुर के पदाधिकारीगण, हेमन्त नेगी, सत्यदेव राठी, गीता पटवाल, इंजीनियर रंजीत सिंह आदि मौजूद रहे। सभा का संचालन आर्यसमाज गुरुकुल कांगड़ी के प्रधान प्रो० सत्यदेव निगमालंकार तथा धन्यवाद ज्ञापन उप-प्रधान प्रो० मौहर सिंह मीणा के द्वारा किया गया।

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