रुड़की

हरेला एक पर्व के साथ-साथ जीवन बचाने का संदेश भी देता है: प्रोफेसर हिमांशु एरन कुलपति सुभारती

कलम साधना संस्था द्वारा हरेला पर कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

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(इमरान देशभक्त) रुड़की/देहरादून। साहित्यिक संस्था कलम साधना फाउंडेशन द्वारा मसूरी मार्ग पर दा प्रॉमिनेन्स सभागार में हरेला पर्व पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजित किया गया। मुशायरे में दुबई से पधारे शायर तारीफ नियाजी को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में रासबिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर प्रोफेसर हिमांशु एरन, फिल्म एक्ट्रेस इंद्राणी पांधी, सुभारती हॉस्पिटल की विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनुभा अग्रवाल, जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर कुमार विजय द्रोणी, लेखिका व कवियित्री अरुणा वशिष्ठ, उत्तराखंड उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर अफजल मंगलौरी, शिक्षाविद व संस्था अध्यक्ष धनंजय उपाध्याय रहबर, कवि भूपेंद्र बसेड़ा आदि अतिथियों ने हरेला पर्व पर विचार व्यक्त करते हुए इसे पर्यावरण सुरक्षा तथा देश का अनोखा त्योहार बताया।संस्था संरक्षक सुशांत नायक व आनंद चौहान ने दुबई से पधारे अतिथि शायर तारीफ नियाजी, मुख्य अतिथि डॉ० हिमांशु हिरण, फिल्म एक्ट्रेस इंद्राणी पांधी सहित अन्य अतिथियों व कवियों को शाल व सम्मान चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रमोद भारतीय व संस्था के महासचिव, शायर प्रोफेसर अफजल मंगलौरी द्वारा किया गया। जबकि अध्यक्षता शायर असलम खतौलवी ने किया।कलम साधना काव्य संध्या में कवियों ने सामाजिक विषयों, वीर रस, श्रंगार, रस के साथ-साथ अधिकांश कवियों ने कविताएं हरेला पर शायरी सुनाकर वातावरण को खुशनुमा बना दिया। वरिष्ठ कवि शायर जसवीर हलधर ने पढ़ा कि करें हम धरती का सिंगार, हरेला हम सब का त्यौहार। दुबई से आये शायर तारीफ़ नियाज़ी ने कहा कि
तू कहाँ मेरी बात समझेगा, तेरे सर पर सवार है दुनिया।
प्रोफेसर अफजल मंगलौरी ने फरमाया कि हैं नेताओं की चांदी, रोज धनवर्षा की बेला है, सियासत में जिधर देखो, हरेला ही हरेला है। एडवोकेट असलम खतौलवी ने यूँ दर्द बयान किया कि किसी ने संग भी भेजे हैं, मुझको फूल के साथ, मेरे उसूल भी तोड़े, बड़े उसूल के साथ। संस्था के अध्यक्ष व शायर धन्यजय उपाध्याय रहबर
ने अर्ज किया कि खुदा तेरी अजब रहमत, गजब की ये कहानी है, बदन में कैद सांसे हैं, बड़ी ये बेईमानी है। शायर रईस अहमद खान फिगार ने फरमाया कि बन के सूरज निकल रहा हूँ मैं, क्यों अंधेरों को खल रहा हूं मैं। जीएसटी के जॉइंट कमीशनर व कवि कुमार विजय द्रोणी ने पढ़ा कि इस जिन्दगी यूँ ही जिए जा रहा हूँ मैं, नाम उनका लिए जा रहा हूं मैं। इसके आलावा अरुणा वशिष्ठ, डा० अनुभा अग्रवाल, अनीता जगदीश ने भी काव्य पाठ किया। इससे पूर्व कवियित्री डा० अनुभा अग्रवाल का जन्मदिन पेड़ लगा कर व केक काट कर किया गया। कवियित्री अरुणा वशिष्ठ की पुस्तक मित्र संस्मरण का विमोचन भी किया गया। अंत में सुशांत नायक द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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