हरिद्वार की गूंज (24*7)
(चिराग कुमार) हरिद्वार। हरिद्वार में गुरुवार को भैया दूज का त्योहार रीति रिवाजों के अनुसार मनाया गया। वहीं, रोडवेज और रेलवे स्टेशन पर भीड़ रही। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्त इंतजाम किए गए थे।
गुरुवार को जिले भर में भैया दूज का त्योहार मनाया गया। वहीं रेलवे स्टेशन और रोडवेज पर बीती बुधवार को भी भीड़ भाड़ रही। पर गुरुवार को यहां और भी भीड़ उमड़ने की उम्मीद थी, लेकिन उम्मीद से हटकर भीड़ कम ही दिखी। Oplus_16908288
ट्रेनें तो नहीं बढ़ेंगी, लेकिन रोडवेज का दावा था कि भैयादूज पर निगम की एक दर्जन बसों के साथ अनुबंधित बसें ऑन रूट रही। भैया दूज पर्व पर दूर-दराज से अपनी बहनों के यहां टिका कराने आए भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर बहनों से गोले सहित उपहार स्वरूप गिफ्ट भेंट किए तो वहीं भाईयों ने भी अपनी-अपनी बहनों को उपहार देकर उनसे आशीर्वाद लिया। बहनों ने भी भाई की लंबी उम्र की कामना की। Oplus_16908288Oplus_16908288
पूरे भारत ने 20 अक्टूबर 2025 को बड़ी ही धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया। वहीं, 23 अक्टूबर को भाई दूज मनाया गया। यह त्योहार दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने और इस रिश्ते में आई दूरियों और दरार को कम करने का विशेष अवसर होता है। Oplus_16908288
इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। यह दिन केवल एक परंपरा नहीं बल्कि स्नेह, विश्वास और पारिवारिक एकता का प्रतीक है। Oplus_16908288Oplus_16908288
भाई दूज का यह त्योहार प्रेम, सुरक्षा और जिम्मेदारी की भावना से जुड़ा हुआ है। बहनें इस दिन अपने भाइयों को घर बुलाती हैं। फिर भाई को तिलक लगाकर आरती करती हैं और मिठाई खिलाती हैं।इस अवसर पर भाई बहनों को आशीर्वाद और अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार देते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह पर्व केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और पारिवारिक बंधन का प्रतीक है। Oplus_16908288
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा है। यमुना अपने भाई यमराज से बार-बार मिलने का आग्रह करती थीं। एक दिन यमराज अचानक से अपनी बहन के घर पहुंचे। जिस दिन यमराम अपनी बहन के घर पहुंचे, वह तिथि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। भाई के आने से खुश बहन यमुना ने उनका स्वागत कर आरती उतारी और तिलक लगाया। इसके बाद अपने भाई की पसंद के पकवान बनाकर बड़े प्यार से भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी भाई-बहन के प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है।