चेनराय महिला जिला चिकित्सालय भगवान भरोसे, दम्पत्ति डाक्टर की मनमर्जी गर्भवती महिलाओं पर भारी
डाक्टर दम्पत्ति पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से है महिला, जिला व मेला सरकारी अस्पताल में तैनात, बड़ा सवाल

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) हरिद्वार। चेनराय जिला महिला चिकित्सालय में एक डाक्टर दम्पत्ति की कई वर्षों से तैनाती शहर भर में चर्चाओं का कारण बन रही है। यहां डाक्टर दम्पत्ति की मनमानी का आलम यह है कि दोनों एक साथ ही अस्पताल से छुटटी लेते हैं, जिस कारण चेनराय महिला जिला चिकित्सालय एक लावारिस की तरह संचालित होता है, जिस कारण गर्भवती महिलाएं दो चार हो रही हैं। ताजा मामला गत माह पूर्व हुआ था, जिसमें एक समाजसेवी आयुषी टंडन ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा था कि प्रसव पीड़ा से चिल्लाती हुई महिला को समय पर उपचार नहीं मिलना गंभीर मामला है। वायरल हो रहे वीडियो में महिला चिकित्सकों की लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है। आयुषी टंडन ने कहा कि पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। आयुषी टंडन ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बदहाल है। सरकारी अस्पताल में सही उपचार नहीं मिल पाने के कारण मरीज निजी चिकित्सालयों में जाने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरकारी अस्पतालों में मरीजों के प्रति लापरवाही करने वाले चिकित्सकों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। महिला अस्पताल में रात्रि पाली में प्रसव पीड़ा से चीखती चिल्लाती महिला के साथ संवेदनहीनता साफ तौर पर नजर आ रही है। उन्होंने मांग की कि अस्पतालों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए, लेकिन अस्पताल प्रशासन की कुंभकर्णीय नींद है कि खुलने का नाम नहीं ले रही है। चेनराय जिला महिला अस्पताल की तमाम डाक्टरों को न तो सीएमओ के आदेशों की कोई परवाह है और न ही स्वास्थ्य मंत्री का डर और न ही सरकार का जरा भी खौफ। है तो बस घोर लापरवाही और मनमानी। जिसका खामियाजा समय समय पर गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। वहीं, पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से एक डाक्टर दम्पत्ति यहां तैनात है, जिसकी मनमर्जी के आगे मरीज से लेकर तिमारदार और यहां का स्टाफ बहुत ही परेशान है। दोनों की जुगलबंदी के आगे सीएमओ तक बौने साबित हो रहे हैं। एक ताजा मामाल आज बुधवार को देखने को मिला जब एक गर्भवती महिला दीपा पत्नी धर्मेंद्र प्रसव पीड़ा के चलते चेनराय महिला जिला चिकित्सालय पहुंची। पहले तो उसके परिजनों के साथ अस्पताल के स्टाफ न बरताब बड़ा ही रूख अपनाया और भर्ती करने से मना कर दिया कि यहां कोई बैड खाली नहीं है, कहीं और जाकर अपना ईलाज करायें, जबकि अस्पताल से सरकारी पर्चा बन चुका था और टेस्ट इत्यादि भी लिखे गए थे, अब जब दम्पत्ति डाक्टर को अवगत कराया गया तो पता चला कि पिछले कुछ दिनों से दोनों ही छुटटी पर हैं और अस्पताल में मरीजों को देखने वाला कोई जिम्मेदार डाक्टर नहीं है। वहीं, इस बाबत जब सीएमओ से बात की गयी तो उन्होंने भी इस ओर कोई रूचि नहीं दिखाई और बाद में फोन उठाने ही बंद कर दिए, जोकि बताया जा रहा है वह अक्सर ऐसा करते हैं। बहरहाल अब देखना यह होगा कि इस समाचार के प्रकाशन के बाद राज्य की भाजपा सरकार चेतेगी और स्वास्थ्य मंत्री इस ओर क्या कड़ी कार्यवाही अमल में लाएंगे, देखने योग्य होगा।











