उत्तराखंड में पांचों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की लगातार बढ़त, समीकरण जीत की ओर
मोहम्मद आरिफ उत्तराखंड क्राइम प्रभारी
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(मोहम्मद आरिफ) हरिद्वार। कई वर्षों के आंदोलन के बाद 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग कर उत्तराखंड राज्य बना था। 2000 से 2006 तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता रहा। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की मांग और भावनाओं को गंभीरता से लेते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। और फिर राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में वर्ष 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनावों में मिश्रित जनादेश आया। 2009 में फिर से जनता ने कांग्रेसी प्रत्याशियों के पक्ष में जनादेश सुनाया। उसके बाद वर्ष 2014 के चुनावों में मोदी लहर पर सवार भाजपा के सभी सीटों के प्रत्याशियों ने कांग्रेस से हिसाब चुकता किया। और इसी तरह 2019 में भी उत्तराखंड की जनता ने भाजपा पर ही भरोसा जताया था। 2024 के लोकसभा चुनाव भी इतिहास दोहराने पर है। उत्तराखंड की पांचों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा होता दिखाई दे रहा है। पांचों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लगातार आगे बढ़ते और कांग्रेस के प्रत्याशियों को पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं अगर बात हरिद्वार लोकसभा सीट के भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत की जाए, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार जीत की तरफ बढ़त बढ़ाए हुए हैं। अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव की दौड़ में पीछे छोड़ते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को लगभग 12 बजे तक 2 लाख 42 हजार 913 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह रावत क 1 लाख 90 हजार 553 वोट प्राप्त हुए, निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार को 33 हजार 726 वोट और बसपा प्रत्याशी जमील अहमद 13 हजार 314 वोट ले सके हैं।