देहरादून

इतना आसान नहीं रहता उत्तराखंड में खाकी पहन पुलिस सेवाएं करना, कांटों से भरी चुनौतियां रहती हैं पुलिस के सामने

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में जहां पुलिस सेवाएं करना आसान नहीं रहता जहां छोटी सी चूक होने पर पुलिस व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े होने लगते हैं तो वहीं यदि पुलिस के कार्यों को बारीकी से देखा जाए तब कहीं समझ में आता है कि जहां कोई नहीं दिखता तब वहां खाकी ही एक सहारा बनता है। जी हां उत्तराखंड पुलिस के सामने कब कहां बड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी कुछ मालूम नहीं। लेकिन उत्तराखंड पुलिस अपने सामने आने वाली हर चुनौती से निपटने के लिए हमेशा दिखाई देती है। देवभूमि उत्तराखंड जहां तीर्थ स्थलों के साथ ही पर्यटक स्थल भी हैं जहां सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस के लिए बड़ी जिम्मेदारी रहती है।

वहीं चारधाम यात्रा, कुम्भ मेला, एवं अन्य धार्मिक राजनीतिक आयोजनों मेंव्यवस्थाओं को लेकर पुलिस की बड़ी भूमिका रहती है। वहीं हर वर्ष मानसून के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में कब कहां आपदा जैसी बड़ी स्थिति आ जाएगी। कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में कई दुर्गम क्षेत्रों में आपदा जैसी स्थिति में उत्तराखंड पुलिस बल अपने फ़र्ज़ को निभाते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना राहत बचाव कार्यों में जुटा रहता है।

उत्तरकाशी जिले के धराली बादल फटने से कुछ हिस्सा मलवे में तब्दील हो गया। जहां कई लोगों की मौत हो गई तो कई लोगों के दबे होने की खबरें भी सामने आई। जिस पर तत्काल उत्तराखंड पुलिस के तमाम अधिकारी एवं अन्य पुलिस बल की टीमें घटना स्थल पर पहुंची जहां युद्ध स्तर पर दिन रात राहत बचाव कार्य में जुटी रही। वहीं उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ स्वयं घटना स्थल पर पहुंच कर राहत बचाव कार्यों में जुटे जवानों का मनोबल बढ़ाया।

वहीं उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ पीड़ितों के बीच पहुंच कर हर सम्भव मदद करने में उनका हौसला बढ़ाया। वास्तव में उत्तराखंड में आपदा जैसी स्थिति में उत्तराखंड पुलिस की मदद से कई लोगों को नया जीवन मिला है। कई बार राहत बचाव कार्य में जुटे पुलिस के जवान चोटिल हो जाते हैं। कठिन मार्गो से गुजरते हुए राहत बचाव कार्य करने में बड़ी मुश्किलें सामने आती हैं। लेकिन उत्तराखंड पुलिस खाकी का फ़र्ज़ निभाते हुए हर कठिन कार्य को करने में कामयाब रही है। अपने परिवार से दूर रहकर आम जनता की सुरक्षा में पुलिस के जवान ही हैं जो अपने फ़र्ज़ के लिए इतना बड़ा त्याग तक कर सकते हैं।

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