हरिद्वार में देश का प्रकृति परीक्षण अभियान का 26 नवंबर से आगाज
शोध आधारित तथ्य: प्रकृति और स्वास्थ्य का गहरा संबंध: डॉ. अवनीश उपाध्याय
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। आयुर्वेद को हर घर तक पहुंचाने और नागरिकों को उनकी व्यक्तिगत प्रकृति के अनुसार स्वास्थ्य उपाय अपनाने के लिए ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ की भव्य शुरुआत हरिद्वार के ढाढेकी ढाना स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर से की जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य प्रकृति परीक्षण के माध्यम से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक संरचना को समझते हुए निवारक स्वास्थ्य पद्धतियों को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक लगातार संचालित किया जाएगा। हरिद्वार के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने इस अभियान की व्यापक तैयारियों पर चर्चा करते हुए कहा, इस अभियान के माध्यम से हरिद्वार के प्रत्येक नागरिक को उनकी प्रकृति का परीक्षण करने और उसके अनुरूप जीवनशैली अपनाने की जानकारी दी जाएगी। इससे शारीरिक और मानसिक रोगों की रोकथाम में मदद मिलेगी। उन्होंने आगे कहा पहले से संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्रकृति परीक्षण का कार्य जारी है, लेकिन इस अभियान के माध्यम से इसे अधिक व्यवस्थित और व्यापक बनाया जाएगा। हमारा लक्ष्य हर घर तक आयुर्वेद को पहुंचाना है, ताकि लोग इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकें। इस अभियान से जुड़े शोध और अध्ययनों के बारे में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय आयुष मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने बताया प्रकृति परीक्षण आयुर्वेद का एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध पहलू है, जिसे दो दशकों के शोध के बाद मान्यता मिली है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अध्ययनों में पाया गया है कि वात, पित्त और कफ दोषों के आधार पर व्यक्ति की प्रकृति का निर्धारण कर रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन में महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि आयुर्वेद की यह विधि आधुनिक पी5 चिकित्सा सिद्धांतो पूर्वानुमान, निवारक, व्यक्तिगत, सहभागितापूर्ण और सटीक चिकित्सा के साथ मेल खाती है। यह लोगों को रोगों के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानने और उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है।