हर की पौड़ी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, पितरों की शांति के लिए भावनाओं का महास्नान
रवि चौहान हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रवि चौहान) हरिद्वार। पितृ पक्ष की श्राद्ध अमावस्या पर आज तीर्थ नगरी हरिद्वार के हर की पौड़ी, ब्रह्मकुंड, कुशाव्रत घाट और नारायणी शिला पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से आए भक्त सुबह से ही गंगा स्नान और पितृ तर्पण के लिए पहुंचे। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धालुओं ने पिंडदान, तर्पण, हवन और ब्राह्मण भोजन किया। नारायणी शिला पर जाकर उन्होंने ‘प्रेत शिला’ को स्नान कराया और पितरों के घरों की सफाई, पूजन और स्मरण किया। भावुक श्रद्धालु आंखों में आंसू लिए पितरों का आह्वान करते नजर आए।हरिद्वार के कुशाव्रत घाट और नारायणी शिला पर भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। लंबी कतारों में खड़े श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। नारायणी शिला पर बने “पितरों के घर” श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद साफ किए, वहां विराजमान पितृ देवताओं को पूजन कर भाव-विभोर हो गए। कई श्रद्धालु अपने पितरों को याद कर आंखों से आंसू बहाते दिखे। सुबह से ही रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और आसपास के गांवों से लोगों का जमावड़ा हर की पौड़ी की ओर बढ़ रहा था। गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की कतारें और नारायणी शिला के दर्शन के लिए लंबी लाइनों में खड़े लोग धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। स्थानीय ब्राह्मणों और पंडितों ने धार्मिक विधि-विधान के साथ तर्पण और पिंडदान संपन्न कराया। श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पितृमोक्ष की कामना की और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की। श्राद्ध अमावस्या वर्ष में एक बार आती है और इसे पितृ तृप्ति का महापर्व माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अवसर पर गंगा स्नान और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।











