चर्चा: कापी-किताबो मे कमीशनखोरी का बोलबाला
प्री नर्सरी से 8वी तक के छात्रो से मोटी कमाई, जेब पर डाका
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। जनपद के निजी विद्यालय शिक्षा की आड में शिक्षा माफिया एक ऐसा कारोबार कर रहे है। जिसे जानकर आप हैरत में पड जायेगे, इंग्लिश मीडियम स्कूलो ने अभिभावको के लिये एक ऐसा नियम लागू किया हैं। जिसमें एक साधारण आदमी तो निश्चित ही कंकाल हो जायेगा। किसी भी क्लास का कोई भी कोर्स आप अगले साल में प्रयोग नही कर सकते। मतलव साफ हैं कि, आपको हर क्लास के लिये नया कोर्स खरीदना पडेगा, और पुराना कोर्स रद्दी हो जायेगा। जब सच्चाई की पडताल की तो पता चला कि प्रत्येक सत्र में ये कोर्स न सीबीएसई और न ही एनसीआरटी के नियमानुसार चेंज किया जाता है। बल्कि इग्लिश मीडियम स्कूल मोटी कमाई के लिये हर साल मनमाने ढंग से कोर्स चेंज कर देते है जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। हैरत करने वाली बात तो ये भी हैं कि जिले के तमाम छोटे बडे शिक्षण संस्थान व इग्लिश मीडियम स्कूलो का कोर्स शहर की किसी अन्य दुकान पर नही मिलेगा कमीशनखोरी के चलते स्कूलो द्वारा निर्धारित दुकानो पर ही कोर्स मिलेगा, जिसे हर बार खरीदना अनिवार्य है। हर साल सिलेवर्स चेंज करने के पीछे निजी विद्यालय कमीशनखोरी के गौरखधंधे के लिये स्लेवर्स चेंज करते है। अन्यथा 50 फीसदी बच्चे पुरानी किताबो से भी पढाई कर सकते है। स्कूल खुलते ही शिक्षा माफियाओ ने बच्चो के अभिभावको की जेब पर डाका डालना शुरू कर दिया है। निजी विद्यालय के संचालको द्वारा उनके मनचाहे पब्लिशर्स की कापी-किताबे लेने के लिये अभिभावको पर दबाब बनाया जा रहा है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। इन सभी स्कूलो मे नर्सरी से कक्षा 10 तक के बच्चो के लिये विशेषकर या यू कहे सैटिग वाले पब्लिशर्स की कापी-किताबो का ही प्रयोग किया जाता है। इन स्कूलो की किताबो का विक्रय भी कुछ चिन्हित दुकानो के माध्यम से ही हो रहा है। स्कूल से बुक्स की लिस्ट के साथ ही कौन सी दुकान से खरीदा जाना है दुकान का नाम भी बता दिया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जाता है कि कमीशन के खेल का खेल खेला जाता है। सूत्रों की माने तो 250 रूपये के बुक्स सेट से वसूलते 6000 नगर के प्राइवेट स्कूलो में हर साल नये एकेडेमिक सेशन की शुरूआत के दौरान किताबो में भारी कमीशन का खेल तेज हो जाता है। निजी स्कूलो द्वारा शिक्षा की आड में कमीशनखोरी का कारोबार काफी पुराना है। 50 से 60 प्रतिशत से अधिक मिलने वाले कमीशन के खेल में निजी स्कूल हर साल नये सत्र में किताबे बदल देते है। जिसके बदले पब्लिशर्स उन्हे मोटा कमीशन देते है।