चर्चा: परिवहन विभाग के बसों चालको और परिचाल द्वारा सरकार को चूना लगाने का खेल जारी
ऋषभ चौहान हरिद्वार जिला संवाददाता
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(ऋषभ चौहान) हरिद्वार। परिवहन विभाग की बसों द्वारा सरकार को चूना लगाने और उनके द्वारा सामान इधर से उधर पहुंचाने का खेल लगातार जारी है, जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। जैसा की आप सभी लोग जानते है, कि एक राज्य से दूसरे राज्यों में तथा एक शहर से दूसरे शहर या गाँव मे सामान पहुँचाने के लिए सभी टान्सपोर्ट का सहारा लेते है, जिससे व्यापारियों और लोगों के समय की भी बचत होती है, और समय पर लोगों को जरूरत की वस्तुएं भी मिल जाती है, ये घटनाक्रम जब तक बिल्कुल ठीक था, जब तक रजिस्ट्रड ट्रांस्पोर्ट का माल गाडियो द्वारा अंजाम दिया जा रहा था, उसमें सरकार को भी फायदा था, तथा कोई आपत्ति जनक वस्तु आदि भी नहीं पहुंचा पाता था, लेकिन इन सभी के बीच में सरकार बस के चालकों और परिचालको द्वारा बहुत ही बड़े स्तर पर सरकार को चूना लगाने के काम को अंजाम दिया जा रहा है जो एक शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। आइये हम आपकी सरकारी बसो के चालको व परिचालकों की सरकार को चूना लगने के और अपनी जेब भरने के खेल को समझाते है, मान लीजिए किसी व्यक्ति ने परिवहन विभाग की बस जो दिल्ली से हरिद्वार आने वाली है, मै किसी भी प्रकार के सामान का बोरा रख दिया तथा उस बोरे पर हरिद्वार का पता लिख कर परिचालक के सुपुर्द कर दिया तथा हरिद्वार में जिसका बोरा है, उसको परिवहन विभाग की बस का व परिचालक का नम्बर दे दिया। मैंने फला वस्तु का बोरा इस नम्बर की बस में रख दिया, लगभग इतने समय बाद बस हरिद्वार बस स्टेण्ड पर पहुँच जायेगी बस ठीक अपने समय पर हरिद्वार बस स्टैण्ड पर पहुँच गयी है, अब वहीं पहले से ही वो शख्स मोजूद है, जिसको उस बारे को लेना है अब वो शख्स परिचालक से अपना बोरा मांगता है, जिसके पश्चात परिचालक समान का बोरा बस स्टैण्ड पर पहुँचे व्यक्ति को सौप देता है, तथा उस बोरे को पहुँचाने की एवज में जिसका वजन लगभग 100 किलोग्राम है, बोरे को पहुँचाने के लिए कम से कम 500 रुपये की मांग करता है। चालकों और परिचालको की जेब में जाता है। अब आप समझ गये होंगे सरकारी बस के चालको और परिचालको के द्वारा सरकार को कितना आर्थिक नुकसान देकर अपनी जेवे भरने का काम किया जा रहा है, तथा दूसरा एक अहम तथ्य यह भी है, जब कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन विभाग की बसों के माध्यम से भेजते है, तो भेजे गये सामान की भी कोई गारंटी नहीं होती है, कि उस पैक हुए सामान मेरे कोई आपत्ति जनक बस्तु भी हो सकती है, तथा प्रतिबंधित वस्तुओं का आदानप्रदान भी परिवहन विभाग की बसो के माध्यम से किया जा रहा है, लेकिन परिवहन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे सरकार को हर माह सम्पूर्ण भारत में चालको और परिचालको के कारण करोडो रुपए का नुकसान झेलना पडा है, तथा परिवहन विभाग की लापरवाही और चालक परिचालको के लालच के कारण सामान के आदानप्रदान के जरिये कुछ भी अप्रिय वस्तु भेजी जा सकती है, इसलिए परिवहन विभाग को इस ओर ध्यान देकर सरकार को लग रहे चूने को रोकने का प्रयास करने की आवश्यकत है।