हरिद्वार की गूंज (24#7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून के ऑर्थाेपेडिक्स विभाग के निदेशक डा.गौरव गुप्ता ने कहा कि 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के गठिया होते हैं। जिनमें ऑस्टियो आर्थराइटिस (ओए) और रुमेटीइड गठिया (आरए) सबसे आम हैं। प्रैस क्लब में आयोजित प्रैसवार्ता के दौरान डा.गौरव गुप्ता ने बताया कि लोगों में यह आम धारणा है कि गठिया केवल बुजुर्गों को प्रभावित करता है। लेकिन आज कल यह बीमारी युवा आबादी में भी तेजी से बढ़ती जा रही है। पहले 60 से 65 साल की उम्र के मरीजों को गठिया की समस्या से जूझते देखते थे। पिछले कुछ वर्षों में यह समस्या युवा वर्ग में भी देखी जा रही है।
सभी प्रकार के गठिया की बीमारी के अंतिम चरण में जोड़ो के ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है। मैक्स हॉस्पिटल देहरादून अपने जॉइंट रिप्लेसमेंट ऑपरेशनों में आधुनिक उन्नत एआई तकनीक के एकीकरण को करते हुए गर्व महसूस कर रहा है, जो पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोगी देखभाल, रिकवरी परिणामों, कम रक्त हानि और न्यूनतम घाव के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसमें रोबोटिक सर्जरी शामिल है। जो एक कंसोल के माध्यम से एक सर्जन द्वारा नियंत्रित सटीक उपकरणों का उपयोग करती है। जो अधिक सटीकता और कम पुनप्र्राप्ति समय के साथ न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं की अनुमति देती है। इसके अतिरिक्त वर्चुअल रियलिटी टेक्नोलॉजी (होलो लेंस डिवाइस) एवं कंप्यूटर असिस्टेड टेक्नोलॉजी ऑपरेशन के दौरान सर्जनों को मार्गदर्शन करने के लिए वास्तविक समय, 3डी इमेजिंग प्रदान करते हैं। जिससे प्रत्यारोपण की सटीक नियुक्ति और जोड़ों का संरेखण सुनिश्चित होता है। रोबोट-सहायक सर्जरी इन तकनीकों को जोड़ती है। जो अत्यधिक विस्तृत और नियंत्रित गतिविधियों को सक्षम करती है। जो पारंपरिक मैनुअल सर्जरी की क्षमताओं से उन्नत तकनीक है। जिससे बेहतर परिणाम और रोगी की संतुष्टि होती है। मरीज़ अगले दिन जल्द से जल्द अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की उम्मीद कर सकते हैं। इस क्रांतिकारी तकनीक द्वारा समर्थित विशेषज्ञों की हमारी टीम गठिया पीड़ितों के लिए असाधारण, जीवन बदलने वाले उपचार देने के लिए समर्पित है। डा० गौरव गुप्ता ने बताया कि जहां तक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का सवाल है। आज परिदृश्य बदल रहा है। हाल के रुझानों से पता चला है कि लोग अब सर्जरी के लाभों को समझते हैं और इसे अपनी जीवनशैली में सुधार के विकल्प के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। टीकेआर सर्जरी की सफलता का हवाला देते हुए निदेशक डा.गौरव गुप्ता ने कहा, “घुटना प्रतिस्थापन सबसे सफल सर्जिकल प्रक्रियाओं में से एक है। टीकेआर एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है। जिसके तहत रोगग्रस्त घुटने के जोड़ को कृत्रिम सामग्री से बदल दिया जाता है। जिसे कृत्रिम अंग कहा जाता है। घुटना प्रतिस्थापन न केवल रोगी को पुराने दर्द से राहत देता है बल्कि उन्हें जीवन की बेहतर गुणवत्ता भी देता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑर्थाेपेडिक सर्जन के अनुसार, घुटने के प्रतिस्थापन से गुजरने वाले 90 फीसदी रोगियों को दर्द में नाटकीय कमी और दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव होता है। कई मामलों में वे उन गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम होते हैं। जिन्हें उन्होंने वर्षों पहले गठिया के दर्द के कारण छोड़ दिया था।