हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। युग कोई भी रहा हो शिक्षा में गुरुकुल पद्धति आदर्श साबित रही है। नालंदा विश्वविद्यालय से पहले भी देश में अनेकों गुरुकुल हुवा करते थे, जहां छात्रों को शस्त्र और शास्त्र दोनो की ऐसी शिक्षा दी जाती थी जिससे वो छात्र आगे चलकर समाज के आदर्श नागरिक की भूमिका निभाते थे। धर्म नगरी हरिद्वार में आजादी से पूर्व कांगड़ी गांव गंगा जी के तट पर गुरुकुल हुवा करती थी। आज वही गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कनखल में देश के कोने कोने से आए छात्रों को शिक्षित कर रहा है। आजकल देखने को मिल रहा है कि अधिकांश शिक्षण संस्थानों की पहली आवश्यकता छात्रों को उचित शिक्षा न देकर धन अर्जित रह गया है तो ऐसे में बुध्दिमान लोगो को देश विदेश में पहले वाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई है। एक गरीब अभिभावक ने अपनी पीड़ा बताते हुवे कहा कि गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में भी अब कक्षा 8 में प्रवेश हेतु 1 लाख 31,000 फीस बताई है। इस बारे में यहां के प्रधानाचार्य डॉक्टर विजेंद्र शास्त्री ने बताया कि इस फीस में छात्र को वर्ष भर धोबी, चिकित्सा, भोजन, आवास, साबुन, तेल, बाल काटने जैसी अनेक सुविधा दी जाती है। राज्य और केंद्र सरकार को चाहिए कि देश में शिक्षा का स्तर सही करने के लिए गुरुकुल जैसी शिक्षा पद्धति को जीवित रखने वालो की समय समय पर आर्थिक सहयोग के बजट जारी करना चाहिए ताकि गुरुकुल जैसी संस्था में शिक्षा लेने का अवसर अमीरों को ही नही गरीबों को भी मिले।