हरिद्वार

मुख्यमंत्री और अखाड़ों के संतों, महंतो के बीच हुई कुंभ की बैठक से हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया किनारा

पूर्व मुख्यमंत्री के घनिष्ठ एक महामंडलेश्वर ने बैठक में कलर डालने की नाकाम कोशिश

हरिद्वार की गूंज (2*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। कुंभ मेला 2027 को भव्य, दिव्य रूप से मनाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हरिद्वार में अखाड़ों के महंतो, संतों के साथ बैठक की। 2027 के अर्ध कुंभ मेले को कुंभ मेले की तरह मनाए जाने को लेकर साधु संतों के साथ बैठक की। इस बैठक में सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों, हरिद्वार, रुड़की व रानीपुर के विधायक जिला पंचायत अध्यक्ष हरिद्वार और रुड़की नगर निगम के मेयर तथा शिवालिक नगर नगर पालिका के अध्यक्ष भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित हरिद्वार जिले और गढ़वाल मंडल के पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों ने शिरकत की। गंगा किनारे राज्य अतिथि गृह 1 में आयोजित भव्य बैठक में यह चर्चा जोरों पर रही कि हरिद्वार में रहते हुए हरिद्वार के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ की इस महत्वपूर्ण बैठक से क्यों किनारा किया। त्रिवेंद्र रावत हरिद्वार में होते हुए भी इस महत्वपूर्ण बैठक में क्यों नहीं आए, और उन्होंने कुंभ व्यवस्था की दृष्टि से साधु संतों के साथ हुई पहली अति महत्वपूर्ण बैठक से किनारा क्यों किया। भाजपा की अंदरूनी राजनीति के जानकर बताते है कि दरअसल त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ पिछले कई महीनों से अभियान जुड़े हुए हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम को हवा दे रहे हैं। और अर्ध कुंभ को कुंभ मेला की तरह भव्य रूप से मनाए जाने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के घनिष्ठ एक अखाड़े के महामंडलेश्वर ने कुंभ बैठक में बाधा डालने के लिए और मुख्यमंत्री की शुक्रवार को हुई बैठक में खलल डालने की नीयत से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अस्तित्व को लेकर सवाल उठाए और अखाड़े के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश करते रहे, जो सफल नहीं हो पाई।

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