हरिद्वार

कितना स्वार्थी है इंसान

राजेश कुमार उत्तराखंड प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) हरिद्वार। जनपद हरिद्वार अंतर्गत रुड़की के बीएसएम तिराहे पर स्थित एक मकान की छत की कुंडी से लटक कर एक युवक द्वारा आत्महत्या करने का मामला प्रकाश में आया है। आत्महत्या करने वाले युवक की पहचान जनपद देहरादून साईबर थाने में तैनात जवान नरेश चंद के रूप में हुई है। प्राथमिक जांच में मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ होना बताया गया है जहां मृतक जवान का सीपीयू में तैनात महिला जवान से प्रेम प्रसंग था,किन्तु बीते दिनों महिला जवान की कहीं और सगाई हो थी,जिसकी सूचना जैसे ही जवान को लगी तो वह महिला जवान से मिलने उसके बीएसएम तिराहे स्थित किराए के मकान पर पहुँचा जहां उसके न मिलने पर जवान द्वारा महिला जवान के घर पर ही आत्महत्या कर ली गयी।

इस मामले से एक तरफ जहां समूचा पुलिस प्रशासन स्तब्ध है, वही इस मामले मे गौर करने वाला बिंदु यह है कि आत्महत्या करने वाला जवान पहले से ही शादीशुदा था व उसके बावजूद भी उसके द्वारा किसी और से प्रेम प्रसंग चलाया जाना कहीं से भी न्यायसंगत व उचित नही था। और दूसरी तरफ खुद के व्यवाहिक होने के बावजूद अब जब महिला मित्र की कहीं और सगाई हुई तो उससे नाराज़ होकर आत्महत्या करने जैसा कमजोर कदम उठाना खाकी जैसी मजबूत फ़ोर्स के लिए उस जवान को कमजोर कड़ी के तौर पर दिखा रहा है। निश्चित ही यह बतौर इंसान उसका स्वार्थी रूप भी है जो खुद के प्रेम के लिए किसी और को आगे बढ़ने से रोकने रहा था। अपराध को नियंत्रित करने व आम जन की सुरक्षा व सही दिशा दिखाने को जिम्मेदार फ़ोर्स व अथॉरिटी का ओहदा रखने वाले पुलिस प्रशासन का ही कोई कर्मी आपराधिक न सही पर ‘अनएथिकल’ कार्य कर रहा है वह खाकी का हिस्सा बनने के लिए सही था, यह सोचना वाली बात है। खुद का सुखद गृहस्थ जीवन छोड़कर कहीं और प्रेम प्रसंग चलाना और ऊपर से जिससे प्रेम प्रसंग उसके द्वारा नई शुरुआत करने पर उसका विवाह होने से रोक देना कतई उचित नही था व उसके उपरांत उस घटना से क्षुब्ध होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाना उसके खुद के परिवार लिए मानसिक आघात होने से लेकर कानून के ऐसे रक्षकों के खुद के व्यवहार व सही गलत की पहचान को समझने व उसे व्यवहार में लाने की शक्ति व सक्षमता पर सवाल है, जिसपर निश्चित ही पुलिस प्रशासन को आंतरिक रूप से अपने जवानों से विचार विमर्श व चिंतन कर सुधार करने की जरूरत है।वर्क फ्रंट पर नित नए सुधार करने के प्रयासों के बीच जवानों के एथिकल ग्राउंड्स व निजी समस्याओं पर भी चिंतन हो तो पुलिस प्रशासन के कार्य क्षमता में निश्चित ही और बेहतर सुधार देखने को मिलेंगे।

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