हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। चारों तरफ चुनाव का माहौल है हर तरफ पर चर्चा का विषय चुनाव, चुनाव का परिणाम और प्रत्याशी हैं। एक आम मतदाता के लिए सोचने का विषय यह है कि यह चुनाव कुछ सालों में दोहराने वाली एक प्रक्रिया मात्र है या आम इंसान के हित और उसके विकास के लिए किए जाने वाले प्रयासों की एक प्रक्रिया है। अगर बिल्कुल निष्पक्ष होकर चिंतन किया जाए तो एक मध्यमवर्गीय मनुष्य के जीवन में क्या परिवर्तन आते हैं चुनाव में किसी प्रत्याशी के जीतने के बाद, कोई भी परिवर्तन नहीं आते हैं। इसका कारण कहीं यह तो नहीं होता कि हम लोग अपने मत का जो अधिकार है वह चिंतन के साथ प्रयोग नहीं करते, बहुत सोच समझ कर ही अपने मत का प्रयोग करना चाहिए। इस बार यह निर्णय तो लिया ही जा सकता है कि किसी भी तरह की झूठ या प्रलोभन में ना कर वास्तविक स्थितियों को अंगीकार करना होगा। और इतना दूर होना पड़ेगा अपने अधिकारों तथा आपने आसपास की स्थितियों का जागरूकता के साथ अवलोकन करें तथा जिस भी प्रत्याशी को चुने उनके पास अधिकार से जाकर अपनी समस्या कह सकें। एक आश्चर्यजनक बात हमेशा रहती है जनप्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं विजय होने के बाद वह जनता के बीच से ही गायब हो जाते हैं। जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि जनता के लिए अति विशिष्ट व्यक्ति हो जाते हैं तथा उनसे मिलना भी एक आम इंसान के बस की बात नहीं रह पाती।एक आम मतदाता बस मतदान वाले दिन ही महत्वपूर्ण होता है, उसके बाद उसे हर बार बेहद आम होने का एहसास कराया जाता है उसी के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के द्वारा। इस बार मतदाताओं द्वारा एक बात की शर्त रखी जा सकती है कि जिस भी जनप्रतिनिधि को चुने बस वह अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जनता के साथ इसी प्रेम और सम्मान के साथ रहे जैसे वह चुनावी परिणाम आने के पहले रहते हैं। चुनाव की प्रक्रिया में मतदाता और मतदाता द्वारा चुने गए प्रत्याशी दोनों ही बराबर महत्वपूर्ण भूमिका में होते हैं लेकिन परिणाम आने के बाद मतदाता जो है वह एक आम जनता हो जाती है और जो जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं वह जनता की पहुंच से बहुत दूर हो जाते हैं। इस बार श्रीहरि सभी को सुबुद्धि प्रदान करें, सभी अपने कर्तव्यों और अधिकारों का प्रयोग सुमति के साथ करें और एक दूसरे के लिए हर परिस्थिति में तैयार रहै।।