रुड़की

आईआईटी ने भुवनेश्वर नगर निगम के साथ मिलकर एक व्यापक तूफानी जल प्रबंधन योजना विकसित की

इमरान देशभक्त रुड़की प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी, रुड़की) एवं भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) ने आधिकारिक तौर पर भुवनेश्वर शहर, ओडिशा के लिए एक व्यापक तूफानी जल प्रबंधन योजना को सहयोगात्मक रूप से विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहल शहर में तूफानी जल प्रबंधन को आगे बढ़ाने, शहरी लचीलापन, बाढ़ के जोखिमों को कम करने और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों के खिलाफ शहरी बुनियादी ढांचे को भविष्य के लिए तैयार करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। आईआईटी रुड़की एवं भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) के बीच समझौता ज्ञापन पर औपचारिक रूप से प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी, कुलशासक स्रिक, आईआईटी रुड़की व राजेश प्रभाकर पाटिल, आईएएस, आयुक्त, बीएमसी द्वारा हस्ताक्षर किए गए।इस परियोजना का नेतृत्व आईआईटी रुड़की के जल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर (एचएजी) प्रोफेसर डीएस आर्य करेंगे। इस सहयोग का उद्देश्य भविष्य के जलवायु परिवर्तन प्रभावों और 2050 तक जनसंख्या वृद्धि अनुमानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भुवनेश्वर की बाढ़ चुनौतियों के लिए टिकाऊ, डेटा-संचालित समाधान प्रदान करने के लिए एक एकीकृत जल निकासी मास्टर प्लान और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) विकसित करना है। हस्ताक्षर समारोह में ओडिशा सरकार के आवास एवं शहरी विकास विभाग मंत्री डॉ० कृष्ण चंद्र महापात्रा और भुवनेश्वर की मेयर सुलोचना दास सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्ति मौजूद रहे।अन्य उल्लेखनीय लोगों में डॉ० एन थिरुमाला नाइक,आईएएस, भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ० कमला लोचन मिश्रा, आईएएस, कार्यकारी निदेशक, ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बिरंची नारायण महासुपाकर, अध्यक्ष, स्वच्छता स्थायी समिति, बिलाश कुमार बेहरा, सिटी इंजीनियर आईआईटी, रूड़की निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत, प्रोफेसर सुमित सेन, प्रमुख, जल विज्ञान विभाग, आईआईटी रूड़की प्रोफेसर एनके नवानी, शैक्षणिक मामले कुलशासक, आईआईटी रूड़की, प्रोफेसर डीएस आर्य, प्रोफेसर जल विज्ञान विभाग, आईआईटी रूड़की उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने सतत शहरी विकास एवं तकनीकी नवाचार के लिए साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया।यह साझेदारी भुवनेश्वर की बाढ़ प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करने के लिए जमीनी विशेषज्ञता और उन्नत तकनीक को साथ लाती है।यह परियोजना सटीक मानचित्रण और डेटा अधिग्रहण के लिए ड्रोन मैपिंग, टोटल स्टेशन (टीएस) और डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) जैसी डेटा संग्रह के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाएगी, इसके अतिरिक्त, आईआईटी रुड़की शहर के तूफानी जल बुनियादी ढांचे को अनुकूलित करने के लिए हाइड्रोलिक एवं डायनेमिक सिमुलेशन आयोजित करेगा,जिससे गंगुआ नाला सहित विभिन्न नहरों के माध्यम से अंततः दया नदी में कुशल बाढ़ के पानी का निर्वहन सुनिश्चित होगा। योजनाओं में सेंसर-आधारित बाढ़ अलार्म प्रणाली के साथ-साथ पंपिंग स्टेशनों की वास्तविक समय की निगरानी के लिए स्काडा सिस्टम को एकीकृत करना भी शामिल है।यह परियोजना गंभीर बाढ़ के मुद्दों के लिए तत्काल समाधान एवं भविष्य के शहरीकरण और जलवायु संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैज्ञानिक रूप से समर्थित दीर्घकालिक मास्टर प्लान दोनों प्रदान करेगी।इसके अलावा सहयोग एक व्यापक सामाजिक-पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषण को शामिल करेगा और कमजोर समुदायों की रक्षा करने वाले टिकाऊ शहरी विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल निकासी पुनर्वास योजनाओं को विकसित करेगा। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो० कमल किशोर पंत ने कहा कि यह सहयोग अनुसंधान-संचालित समाधानों के माध्यम से वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईआईटी रुड़की के समर्पण का उदाहरण है।हमारा लक्ष्य भुवनेश्वर को एक ऐसा बुनियादी ढांचा बनाने में मदद करना है जो न केवल लचीला हो, बल्कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के अनुकूल भी हो। भुवनेश्वर नगर निगम आयुक्त राजेश प्रभाकर पाटिल, आईएएस ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भुवनेश्वर शहर के लिए सतत् शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। आईआईटी रुड़की की वैज्ञानिक विशेषज्ञता के साथ हम एक एकीकृत जल निकासी प्रणाली विकसित करने के प्रति आश्वस्त हैं, जो हमारे शहर को वर्तमान और भविष्य के बाढ़ के खतरों से बचाएगी।आईआईटी रुड़की एवं बीएमसी के बीच यह साझेदारी बुनियादी ढांचे के विकास से कहीं आगे जाती है, इसका उद्देश्य भुवनेश्वर को भारत में जलवायु-अनुकूल शहरी नियोजन के लिए एक मॉडल बनाना है। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक कौशल को बीएमसी की स्थानीय शासन विशेषज्ञता के साथ मिलाकर यह पहल शहरी बाढ़ प्रबंधन एवं स्थिरता के लिए एक राष्ट्रीय बेंचमार्क के रूप में काम करेगी, जो भारत के स्मार्ट सिटीज मिशन एवं संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ संरेखित है।

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