देहरादून

आपरेशन जिंदगी के 17 दिनों में उत्तरकाशी पुलिस ने रेस्क्यू टीम संग दी अग्निपरीक्षा

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय व भारत सरकार के उत्तराखंड के चारधाम आल वेदर रोड परियोजना के तहत प्रदेश के चारो धाम को हर मौसम में यात्रियों के लिए सुगम व आसान बनाने को शुरू किए सड़क निर्माण, चौड़ीकरण में यात्रा के अहम पड़ाव गंगोत्री धाम यात्रा को 26 घण्टे कम करने को परिवहन विभाग के निर्देशन में सिल्क्यारा से दण्डल गांव में बनाई जा रही साढ़े चार किमी टनल जब तैयार होती तब यात्रा को सुगम बनाने के लिए यात्रियों व देश दुनिया से आये पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती किन्तु उससे पूर्व ही इसने न सिर्फ देश बल्कि दुनिया का ध्यान अपनी ओर तब खींच लिया जब सिल्क्यारा से 275 मीटर से आगे टनल में खुदाई का कार्य कर रहे मजदूरों के काम करने के दौरान एक भारी हिस्सा भरभरा कर गिर गया, जिससे टनल में कार्य कर रहे 41 मजदूरों एक नही बल्कि 17 दिन(400 घंटे) के लिए उस टनल में ही फंसे रह गए।

रविवार का दिन जो सभी के लिए दीवाली की खुशियां लाने वाला था उस दिन तड़के सुबह जब उत्तरकाशी में इस टनल हादसे की सूचना आई तो उत्तरकाशी पुलिस, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनडीआरएफ आदि तुरंत मौके पर पहुंच राहत बचाव कार्य को लग गए। उत्तरकाशी पुलिस कप्तान अर्पण यदुवंशी द्वारा स्वयं अपनी टीम के साथ मौके पर मौजूद रहकर बचाव कार्य शुरू करने का जिम्मा लिया गया। हालांकि पहले दिन सभी के जहन में वह कार्य कुछ घंटों का प्रतीत हो रहा था किंतु जैसे जैसे दिन चढ़ा और बचाव कार्यों में देरी,मलबे की मोटाई व खुदाई कार्यों में दिक्कत आने लगी तो कार्यदायी संस्था एचआईडीसीएल, स्थानीय पुलिस प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, शासन व प्रशासन समझ गया कि यह आपरेशन थोड़ा जटिल होने वाला है। जिसके बाद मजदूरों को बाहर निकालने की जुगत में मुख्यमंत्री स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक हस्तक्षेप बना। जिसमे अलगअलग स्तर पर अलग अलग चुनौतियां। कभी खुदाई में पहले मंगाई गई मशीनों का उतना उन्नत न होना,फिर दूसरी भारी भरकम मशीनों को देश के अलग अलग राज्यों से मंगवाना,उनके लिए आसानी व जल्द से जल्द पहुचाने को ग्रीन कॉरिडोर बनाना, हवाई मार्ग से लाना, हवाई मार्ग मशीनों को उतारने में जतन करना, मौके पर लाना व मौके पर लाने से लेकर वर्टीकल ड्रिलिंग के किये बीआरओ द्वारा कुछ घंटों में सड़क निर्माण,सबसे उन्नत माने जाने वाली ऑगर मशीन, फाइनल मोड़ पर आने के बाद मलबे में मेटल आने से मशीन का टूटना,फिर आखिर पड़ाव में रैट माइनर्स का 24 घंटे का परिश्रम आदि चुनौतियों से इस टनल रेस्क्यू आपरेशन की सफलता जुड़ी है। यह कहना गलत नही होगा कि आपरेशन जिंदगी के इन 17 दिनों के हर घंटे हर मिनट जितना मुख्य रेस्क्यू टीम द्वारा प्रयास किये गए उतना ही अग्निपरीक्षा उत्तरकाशी पुलिस द्वारा भी दी गयी।

इस आपरेशन जिंदगी में सभी का योगदान महत्वपूर्ण साबित हुआ,जिसमे एक उत्तरकाशी पुलिस कप्तान अर्पण यदुवंशी व उनकी टीम भी है। जिनके द्वारा आपरेशन के प्रथम दिन से आपरेशन के उस अंतिम पल जिस वक्त वह सभी 41 जिंदगियां खुली हवा में सांस ले रही थी, तक अपनी टीम संग आपरेशन की हर कोशिश में युद्धस्तर पर अपना 100 प्रतिशत दिया। रेस्क्यू आपरेशन को कार्य रही सभी संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर तैयारियों को सफल बनाया वह चाहे ग्राउंड जीरो पर मैन्युअल सहायता व वर्टीकल एवं हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के लिए मंगाई जा रही मशीनों को टनल साइट पर पहुँचाने को सुगम ग्रीन कॉरिडोर प्रदान करने को यातायात व सड़क मार्ग उपलब्ध करवाना। इस दौरान उत्तरकाशी पुलिस कप्तान अर्पण यदुवंशी द्वारा अपनी स्वयं से नियमित तौर पर उक्त आपरेशन की क्लोज मॉनिटरिंग की गई व पुलिस स्तर पर रेस्क्यू आपरेशन को जो भी जरूरत हुई व मुहैया करवाई गई। रेस्क्यू आपरेशन के अन्तिम पड़ाव में उनकी टीम द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय बनाते हुए सुरंग से बाहर निकाले गए कर्मियों को अस्पताल पहुँचाने में सहायता की। उत्तरकाशी पुलिस टीम द्वारा उक्त आपरेशन के 17 दिन 400 घंटो में 24*7 अभियान में रेस्क्यू आपरेशन की हर टीम के साथ सफल कोशिश की बदौलत सभी कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकालने में अपना कभी न भूलने वाला योगदान देकर उत्तरकाशी पुलिस अपने कर्तव्यों में प्रतिबद्ध है सिद्ध कर इसे अपनी सफलताओं में दर्ज करवा लिया है।

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