हरिद्वार

भागवत कथा में रूकमणी विवाह के प्रसंग पर आत्म विभोर हुए

भागवत कथा सुनने से होता है मोक्ष का मार्ग प्रशस्त: मदन कौशिक


हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। कनखल संन्यास मार्ग स्थित श्री रामेश्वर आश्रम में श्रीमती कमलेश चौहान की स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरांनद सरस्वती महाराज ने रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। कथा में भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया गया। रूकमणी विवाह का प्रसंग सुनकर श्रोत्रा भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर नगर विधायक मदन कौशिक ने भी भागवत कथा का रसपान किया। कथा व्यास और भगवान को नमन करते हुए उन्होंने कथा के आयोजकों और श्रोताओं के मंगलमय जीवन की कामना की। उन्होंने कहाकि श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन का सौभाग्य बड़े पुण्य कर्मों से प्राप्त होता है। अपने पितरों के निमित्त कथा कराने से जहां पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है वहीं आयोजकों व श्रोताओं के भी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। कथा व्यास स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के मथुरा प्रस्थान, कंस वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण, कालयवन वध और द्वारिका की स्थापना का वर्णन हुआ। ऊधव-गोपी संवाद में ऊधव द्वारा गोपियों को गुरु बनाने का प्रसंग भी सुनाया। कथावाचक ने बताया कि महारास में श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया।

उन्होंने गोपियों को रास के माध्यम से परमानंद की अनुभूति करवाई। श्रीकृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन व्यतीत किया। उन्होंने कहाकि जीवन को भी बासुरी की तरह बनाना चाहिए। मनुष्य में भले ही बासुरी के छिद्रों की भांति लाख दोष हो, किन्तु उसे अपनी वाणी से किसी को भी अपशब्द नहीं बोलने चाहिए और वाणी से सदैव भगवन नाम स्मरण करना चाहिए, जिससे व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है। कथा व्यास ने संस्कारयुक्त जीवन जीने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना, यज्ञ करना और गौ सेवा करने वाले पर भगवान की कृपा बनी रहती है। कार्यक्रम में रुक्मिणी विवाह की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई। श्रीकृष्ण-रुक्मिणी की वरमाला के समय फूलों की वर्षा की गई। भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंदविभोर कर दिया।

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