कलियुग में धर्म-कर्म ही मनुष्य की वास्तविक पूंजी: पं० सतीश चंद्र कोठारी
प्राचीन शिव मन्दिर ढण्डेरा के प्रांगण में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त/अक्षय कुमार) रुड़की। पवित्र श्राद्ध पक्ष में प्राचीन शिव मन्दिर ढण्डेरा के पवित्र प्रांगण में हो रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस को व्यासपीठ से पण्डित सतीश चन्द्र शास्त्री (कोठारी) के सानिध्य में प्रातः गणेशादि देवताओं के पूजन के साथ भगवान नारायण पूजन हुआ। सांय के सत्र में तीन बजे से श्रीमद् भागवत कथा का आरम्भ हुआ, जिसमें पंडित सतीश चंद्र कोठारी ने कहा कि हम मनुष्य इस पृथ्वी पर कुछ श्रेष्ठ कर्मों के निष्पादन हेतु परमात्मा द्वारा भेजे गये हैं, अतः हम सबका कर्तव्य है कि श्रेष्ठता को जीवन में धारण करते हुये धर्म के मार्ग पर आगे बढते रहें। अपने जीवन को हमें सुसंस्कारित बनाना चाहिये, जिससे सम्पूर्ण मानव जगत को सीख मिले।कलयुग में धर्म-कर्म ही मनुष्य की वास्तविक पूंजी है और इस पूंजी को हमें उत्तम कार्यों में लगाना चाहिये।द्वितीय दिवस में व्यास जी ने भगवान के समय-समय पर जीवों के कल्याण के लिये गये चौबीस अवतारों की कथा देवर्षि नारद जी के चरित्र एवं भगवन्नाम जप कीर्तन श्रवण की महिमा तथा लाभ के विषय में श्रवण कराया। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती एवं अनिल पुण्डीर एडवोकेट, अशोक पुण्डीर, धर्मवीर सिंह पुण्डीर, पं० कलित कोठारी, पं० अजय बलूनी, पं० बृजेश बडोला, पं० नितिन, पं० विवेक, पं० सुमित रतूड़ी, पं० शुभम, संजीव कुशवाहा, इन्द्र सिंह, श्रीमती मिनाक्षी, अरुण पुंडीर, श्रीमती एवं राहुल चौहान, श्रीमती एवं मित्तर सिंह चौहान, राम सिंह, चन्द्र पाल, श्रीमती रंजना, बाला देवी आदि क्षेत्र की मातृशक्तियां उपस्थित रही।