हरिद्वार

स्वच्छ भारत अभियान कहां तक सफल, आईये जानते हैं

अब्दुल सत्तार वरिष्ठ सम्पादक

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अब्दुल सत्तार) हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान का नारा कहां तक सफल रहा है, आइए जानते हैं, देश के दूसरे क्षेत्रों व जिलों को छोड़कर पहले अपने ही शहर व जिले की बात करते हैं, कि धर्मनगरी के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात देवभूमि की धर्म नगरी हरिद्वार में स्वच्छता का नजारा आपको गली-गली मौहल्लों में मिल जायेगा, और तो और सरकारी अस्पतालों का यह हाल है कि गन्दगी के अंबार जन समाज को देखने को मिल जायेगे, पिछले दिनों उपनगरी ज्वालापुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्त्री एवं प्रसूति विभाग के अंदर एक कुत्ता घूसा और खून मे लतपथ रूई के टुकड़े को मांस का लोथड़ा समझकर उठा लाया, अस्पताल परिसर में खून से लतपथ रूई के टुकड़े को लेकर घूमता रहा उपनगरी ज्वालापुर में कोई गली ऐसी नहीं मिलेगी जहां कूड़े का अंबार आपको नजर ना आये, 02 अक्टूबर-गांधी जयंती के दिन स्वच्छ भारत अभियान के तहत जो स्वच्छता अभियान चलाया जाता है, उसमे आपको जमीनी स्तर पर सफाई करने वाले लोग ना के बराबर व फेसबुक पर वाह वाह लूटने वाले ज्यादातर लोग सफाई लिये नजर आ जायेगे, और खास बात एक और भी नजर आयेंगी जितने भी फेसबुकिये सोशल मीडिया पर आपको नजर आयेंगे उनके सफाई के सामने एक या दो ही कागज टुकडे व कुरकुरे के वेपर आपको नजर आयेगे, और उन कागज के टुकड़ों व वेपर के द्वारा फैली गंदगी को हटाने के लिए 5-6 आदमी झाड़ू लिये आपको पीछे नजर आयेंगे, जैसे कि फुटबॉल के मैदान में गोल करने के लिए एक ही टीम के कुछ खिलाडी पीछे मौके की तलाश में खडे रहते हैं कि मौका देखते ही गोल कर देगे ठीक इसी तरह से स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांधी जयंती के मौके पर सफाई को लेकर फ़ोटो खिंचवाने की नियत से लोग खड़े नजर आयेगे, क्या वास्तव में स्वच्छ भारत का नारा सफल हो रहा है, जनसमाज खुद ही स्वच्छ भारत अभियान में हाथ बढ़ाने को तैयार नहीं है अगर जनसमाज स्वच्छता को लेकर गम्भीर हो गया तो गली मौहल्लों और सड़कों पर कही भी गंदगी नजर नहीं आ सकती है, लेकिन मैं आप खुद ही नहीं चाहते कि हमारे आसपास साफ-सफाई रहे, हम खुद ही सड़कों नालियो में पान व गुटखो की पीक थूकते नजर आते हैं और गुटखे के वेपर को सड़कों और नालियो में डालकर गन्दगी फैलाने में अग्रिम भूमिका निभाते नजर आ रहे है, कहने का अर्थ है कि जब तक किसी अभियान को सफल बनाने के लिए जन समाज ही जागरूक व गम्भीर नहीं होगा तब तक सफलता मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, इसलिए जन समाज को स्वच्छता के प्रति जागरूक व गम्भीर होना पड़ेगा तभी जाकर स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान को सफलता मिल सकती है जब स्वच्छ भारत होगा तभी तो हम स्वस्थ होंगे।

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