हरिद्वार की गूंज (24*7)
(वासुदेव राजपुत) हरिद्वार। नगर के प्रसिद्ध चित्रकार तथा वर्ष 2000 में भारत के राष्ट्रपति के०आर नारायणन के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त कर चुके, दिल्ली पब्लिक स्कूल, रानीपुर के कला शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने उत्तर प्रदेश की उत्कर्ष ललित कला अकादमी (लखनऊ) द्वारा आयोजित सातवीं अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी के दौरान ‘स्व. अशोक सिंघल लाइफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड’ हासिल करके पुनः एक बार गंगानगरी हरिद्वार का गौरव बढ़ाया है।
संस्था द्वारा अशोक गुप्ता को उक्त सम्मान ‘कला-स्रोत आर्ट गैलरी, अलीगंज, लखनऊ में ‘कण-कण में राम’ विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी के दौरान प्रदान किया गया। इस प्रदर्शनी हेतु देश के विभिन्न प्रदेशों से लगभग 250 कलाकृतियाँ प्राप्त हुई थी, जिनमें से 75 को चयनित कर प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। इसी प्रदर्शनी में देश के 13 युवा कलाकारों को ‘पदमश्री बाबा योगेंद्र विशिष्ट राष्ट्रीय कला साधक सम्मान’ हरिशंकर, राष्ट्रीय मन्त्री, विश्व हिन्दू परिषद्, दिल्ली और सन्त प्रवर सुनील कौशल महाराज, वृन्दावन के कर कमलों से प्रदान किया गया। कण-कण में राम विषय पर अशोक गुप्ता के द्वारा बनाई गयी एक कलाकृति भी इस प्रदर्शनी में लगाई गयी थी।
उल्लेखनीय है कि आनन्द आर्ट मिशन के संस्थापक व आनन्द आर्ट गैलरी, शिवालिकनगर के सचिव श्री अशोक कुमार गुप्ता ने इसके पूर्व भी अनेक पुरस्कारों से सम्मानित होकर पंचपुरी को गौरवान्वित किया है- जिनमें राजीव गाँधी कल्चरल अवार्ड, कला-मित्र अवार्ड, कलाश्री अवार्ड, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, आइफैक्स कला शिविर सम्मान, उत्कृष्ट कलाकृति पुरस्कार व एस जी ठाकुर सिंह सिल्वर पट्टिका द्वारा इण्डियन अकादमी ऑफ़ फ़ाईन आर्ट्स, अमृतसर, हिमाचल स्टेट म्यूजियम पुरस्कार, शिमला आदि प्रमुख हैं। गुप्ता स्वयं एक अच्छे कलाकार होने के साथ-साथ कला और कलाकारों को गतिमान रखने में निस्वार्थ भाव से अपना योगदान देते रहते है। अशोक गुप्ता 1980 से 2017 तक डीपीएस रानीपुर में कला-विभागाध्यक्ष रहे और वहीं से अवकाश प्राप्त किया था। अपने कार्यकाल के दौरान इनके छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों पुरस्कार मिले हैं जिनमें सात बच्चों को शंकर बाल चित्रकला प्रतियोगिता में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया है। इन्होंने डीपीएस ही नहीं बल्कि कला के माध्यम से सम्पूर्ण हरिद्वार क्षेत्र को एक अलग पहचान दिलाई है। कला विषय पर लिखीं इनकी अनेक पुस्तकें वर्तमान में एनसीआरटी सहित अनेक राज्यों के कला पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत हाईस्कूल व इंटर के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही हैं।