शरीर के बारह अंगों के समान भगवान भी द्वादशांग हैं: सूर्यकांत बलूनी
अक्षय कुमार हरिद्वार संवाददाता
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अक्षय कुमार) हरिद्वार। जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित शिव महापुराण कथा आठवें दिन की कथा का श्रद्धालु भक्तों को श्रवण कराते हुए कथाव्यास सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि जिस प्रकार जीव के शरीर में 12 अंग हैं। वैसे ही भगवान भी द्वादशाँग है। दो चरण, दो जंघा, पेट ,कमर, वक्ष स्थल, ग्रीवा, मुख, ललाट और सिर। यही संसार के 12 ज्योतिर्लिंग है। इन 12 अंगो को शिव 12 रुप से नियंत्रित व सक्रिय रखते हैं। 12 ज्योर्तिलिंगों में पहले हैं सोमनाथ -चंद्र याने मन के नाथ। दूसरे हैं मल्लिकार्जुन-मल्लिका यानि गौरी, बुद्धि। इसके लिये ऊँकार का चिंतन ध्यान आवश्यक है। ऊँकार में 5 देव हैं-ब्रह्मा याने ज्ञान, विष्णु याने कर्म, शिव याने ध्यान, दुर्गा याने क्रिया, गणेश विवेक। बुद्धि इन पांच का अनुसंधान निरंतर करती है। तीसरा ज्योतिर्लिंग है महाकाल-याने समय से चलना, सबकुछ काल समय के अधीन है। चौथा है अमलेश्वर-याने अमल याने मैल रहित याने बाहर भीतर की शुद्धता। पाँचवाँ है केदार- इसके तीन अर्थ हैं। जल की तरह सहज सरल सरस बन प्रवाहित रहना। दार वृक्षवत परोपकार। हिमालय याने दृढसंकल्पित तपस्वी। छठवाँ है भीमाशंकर-कुँभकरण के पुत्र भीमासुर ने आतंकवाद फैलाया तो कामेश्वर राजा ने शिव को मनाया। सत् कामना से शिव ने सुख दिया। सतकामना से आसुरी भाव भी पूजित होता है। उसी के नाम से शिव नाम हुआ। सातवाँ है-विश्वनाथ-आनंदवन, जहां मोक्ष भी आनंदित रहता है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य, श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष संतोष गुप्ता, भगवा हिंदू सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप रोड़, राष्ट्रीय संगठन मंत्री रमाकांत यादव, सदस्य उदय चौधरी, साध्वी राधा गिरी, साध्वी तपस्या गिरी, महंत शुभम गिरी, जलज कौशिक, अस्मित कौषिक, विष्णु गौड़, मनोज अग्रवाल, शोभित गुप्ता, अनिल तिवारी ने व्यास पीठ का पूजन और आरती की। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से कैदियों के जीवन में बदलाव आए। यही कथा आयोजन का उद्देश्य है। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि श्री शिव महापुराण कथा कल्याणकारी है। कथा के श्रवण से कैदियों की मनोदशा में अवश्य बदलाव आएगा।