सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर शांतिकुंज में 12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किया सामूहिक श्राद्ध
नीटू कुमार हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार में पवित्र अवसर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के उपलक्ष्य में अत्यंत भावभीने वातावरण में सामूहिक श्राद्ध तर्पण संस्कार का आयोजन किया गया। चार विभिन्न स्थलों पर आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में कुल 24 पारियों में 12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लेते हुए अपने पूर्वजों एवं पितरों की आत्मा की शांति हेतु श्राद्ध कर्म सम्पन्न किया।
श्रद्धालुओं ने अपने पितृ ऋण चुकाने की भावना के साथ पारिवारिक पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित की और इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड सहित देश भर के विभिन्न आपदाओं, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक संकटों में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए भी जलांजलि दी और प्रार्थनाएँ कीं।
कार्यक्रम का संचालन शांतिकुंज के विद्वान आचार्यों द्वारा वैदिक विधि-विधान से किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को एक वृक्ष लगाने का संकल्प भी दिलाया गया, ताकि पितृ श्रद्धा को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जा सके। शांतिकुंज द्वारा समस्त पूजन सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई,।जिससे श्रद्धालु श्रद्धाभाव से इस पुण्य कर्म में सम्मिलित हो सके। व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि ने बताया कि शांतिकुंज ने सनातन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही समाज में आध्यात्मिक चेतना के प्रसार की दिशा में भी एक प्रेरणास्पद पहल है।
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गायत्री तीर्थ में आश्विन नवरात्र के साधक हुए संकल्पित
शांतिकुंज पहुँचे गायत्री साधना हेतु हजारों श्रद्धालु
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आश्विन नवरात्रि के पावन अवसर पर हजारों साधकों ने गहन साधना और आत्मिक उत्कर्ष की भावना से भाग लिया। वरिष्ठ आचार्यों के मार्गदर्शन में इन साधकों को गायत्री अनुष्ठान हेतु विधिवत संकल्प कराया गया। इस अवसर पर आचार्यों ने कहा कि शांतिकुंज एक सिद्ध तपस्थली है, जहाँ किया गया गायत्री अनुष्ठान विशेष फलदायी होता है। आश्विन मास को साधना और आत्मशुद्धि का सर्वोत्तम काल बताते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं को त्रिकाल संध्या के दौरान जप, स्वाध्याय और आत्मचिंतन का नियमित अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया। 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस विशेष साधना शिविर में विशेष सत्संग सत्रों का भी आयोजन किया जायेगा। साधकों को शांतिकुंज द्वारा आवश्यक आध्यात्मिक मार्गदर्शन, अनुष्ठान विधि आदि नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।











