उछाली आश्रम में संत पुरुषोत्तम दास महाराज की 17वीं श्रद्धांजलि मनाई, भंडारे का भी किया गया आयोजन
नीटू कुमार हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। श्रवण नाथ नगर स्थित श्री गुरु सेवक निवास उछाली आश्रम में साकेतवासी संत पुरुषोत्तम दास पुजारी महाराज की 17वीं के अवसर पर एक श्रद्धांजलि सभा तथा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महंत दुर्गादास महाराज ने की कार्यक्रम का संचालन महंत सूरज दास महाराज ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री गुरु सेवक निवास उछाली आश्रम के परमाध्यक्ष महंत परम पूज्य विष्णु दास महाराज ने कहा इस पृथ्वी लोक पर संतों का सानिध्य परम कल्याणकारी है, संत महापुरुष इस पृथ्वी लोक पर ज्ञान के एक विशाल सागर के रूप में विद्यमान है संतो के श्री मुख से बहने वाली पावन ज्ञान की गंगा भक्तों के भाग्य का उदय कर देती है। सतगुरु से बड़ा इस पृथ्वी लोक पर कोई और मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता मेरे परम शिष्य संत पुरुषोत्तम दास पुजारी एक सच्चे तपस्वी ज्ञान मूर्ति संत थे। भगवान के श्री चरणों में अपना ध्यान लगाये रखने वाले परम तेजस्वी विद्वान संत पुरुषोत्तम दास जी महाराज को हम अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। संत इस पृथ्वी लोक पर सूर्य के सामान तेज मान है जिनके ज्ञान की ऊर्जा भक्तों को धर्म-कर्म के माध्यम से कल्याण का मार्ग दिखाती है। इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर प्रबोधानन्द महाराज ने कहा परम विद्वान श्री महंत विष्णु दास महाराज के परम यशस्वी शिष्य संत परसोत्तम दास महाराज सच्चे ईश्वर भक्त संत थे उनके द्वारा भक्तों को दिया गया, ज्ञान भक्तों के बीच सदैव सारस्वत रहेगा। इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री महंत दुर्गादास महाराज ने कहा संतों का जीवन समाज को समर्पित होता है। संत सदैव भक्तों के कल्याण के लिये ईश्वर की आराधना में लीन रहते हैं संत महापुरुषों का सानिध्य अंधकार में दूर कहीं जलते एक दीपक के सामान है। जो आसपास के वातावरण को प्रकाशमान कर देता है और दूर तक आलोकित होता है। साकेतवासी संत पुरुषोत्तम दास महाराज, पुनीत दास महाराज के गुरु भाई थे और आश्रम के श्री महंत विष्णु दास महाराज के परम आज्ञाकारी शिष्य थे, जो भगवान की आराधना में राम भक्ति में सदैव लीन रहते थे, भक्तों के सच्चे पथ दर्शक संत थे। श्री महंत बाबा हठयोगी महाराज ने कहा भक्त भगवान के अति निकट होता है और संत पुरुषोत्तम दास जी महाराज भगवान की आराधना में पूजा में लीन रहते थे, सदैव भगवान की भक्ति में खोये रहते थे ऐसे परम विद्वान तपस्वी संत को हम अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। महंत प्रहलाद दास महाराज ने कहा वे भक्त बड़े ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें सतगुरु का सानिध्य प्राप्त होता है, गुरु कृपा से उनका लोक एवं परलोक दोनों सुधर जाते हैं महंत प्रमोद दास महाराज ने कहा गुरु मिलाये राम से गुरु उतारे। भव पार गुरु इस पृथ्वी लोक पर ज्ञान की गंगा के सामान है जिनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्तों का जीवन धन्य तथा कृतार्थ हो जाता है। इस अवसर पर बोलते हुए महंत सूरज दास महाराज ने कहा बिना ज्ञान के यह मनुष्य जीवन निराधार है और ज्ञान का सृजन हमारे मन मस्तिष्क में सतगुरु करते हैं जो गुरु के मार्गदर्शन में चलते हैं, वे उन्नति के पथ की ओर बढ़ते हैं इस पृथ्वी लोक पर सतगुरु ही हमारे कल्याणदाता है जो धर्म कर्म सत्संग आदि के माध्यम से हमें सत्य की राह की ओर ले जाकर हमें ईश्वर भक्ति प्रदान करते हैं एवम हमारा लोक एवं परलोक दोनों सुधार देते हैं। इस अवसर पर उपस्थित सभी संत महापुरुषों ने साकेतवासी संत पुरुषोत्तम दास पुजारी महाराज को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अपने शब्दों के माध्यम से प्रेषित करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित समर्पित किये। इस अवसर पर महंत प्रेमदास महाराज, महंत रवि देव महाराज, महामंडलेश्वर प्रबोधानन्द, महाराज महंत ऋषिश्वरानन्द, महंत बाबा हटयोगी, महाराज महंत सूरज दास, महाराज महामंडलेश्वर चिद विलासानन्द, महाराज महंत चेतन दास, कोसी वाले महंत नारायण दास पटवारी, महंत हितेश दास, महाराज महंत प्रहलाद दास, महाराज महंत प्रमोद दास, महाराज महंत सीताराम दास, महाराज महंत परमेश्वर दास, महाराज महंत अनंतानन्द, महाराज स्वामीनारायण, महाराज पुनीत दास, महाराज शत्रुघ्न दास, महाराज ठाकुर मनोजानन्द, स्वामी हेमंत कश्यप ओर महाराज सहित अनेको आश्रमों से आये सभी संत महापुरुषों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।