देहरादून

पापा आप कब आओगे, मुहूर्त 9 बजे तक ही है

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। रक्षाबंधन के मौके पर एक पुलिसवाला सुबह से ड्यूटी कर रहा है और इस दौरान बीच बीच में उसके फोन पर उसकी बेटी का फ़ोन आ रहा है जो सुबह से एक ही सवाल कर रही है कि “पापा आप कितने देर में आओगे, मुहूर्त सिर्फ रात 9 बजे तक ही है” और वह जवान “बस बेटा थोड़ी देर में आ जाऊंगा” कहकर फ़ोन रख वही शहर में बहनों की राखी को सफल बनाने को सड़कों पर डटा हुआ था। देखकर ख्याल आया कि आज हम आम जनता की राखी को सफल बनाने को ख़ाकी धूप में डटी है, छांव में डटी, बारिश है तो भी डटी है। हालांकि त्योहार उनका भी है, राखी उनके लिए भी, परिवार उनका भी है, उनके भी घर मे बहने राखी की थाल सजाए अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने को दोपहर से इंतज़ार कर रही है किंतु ‘ख़ाकी’ शहर की और बहने व भाई समय से अपनी मंज़िल को पहुँचे व जाम में न फंसे इसके लिए चौराहों, सड़को पर मुस्तैद है।

भाई बहनों के लिए सोमवार का दिन बेहद खास था, जहां बहने अपने भाईयों की राखी पर रक्षा सूत्र बांध भाई की लंबी उम्र की कामना करती है और भाई उसकी सूत्र के बदले बहनों की उम्र भर सुरक्षा का वादा करता है। वहीं राखी का दोपहर से मुहूर्त शुरू होने भर की देरी थी कि राजधानी देहरादून में 12 बजे के बाद सोमवार को अलग अलग हिस्से में वाहनो की भारी तादाद देखने को मिली, जिसके चलते जगह जगह जाम की स्थिति भी देखने को मिली किन्तु शहर के हर चौराहे, मुख्य सड़क पर ख़ाकी मौजूद रही, जिन्होंने आम जनता के त्योहार को फीका न पड़ने के लिए मुस्तैदी से यातायात को सम्भाला। किन्तु हम आम जनता कितनी बेसब्री है कि ख़ाकी को किसी मौके पर कोसने से बाज़ नही आती। ख़ाकी से हर समय ही ज़्यादा की उम्मीद लगा उनकी चुनौतियों को नज़र अंदाज़ कर देते है। राखी के मौके पर आज शाम होते होते शहर में भारी जाम हो गया खासतौर पर जनपद को बाहरी क्षेत्रो से जोड़ने को मुख्य रूट होने के चलते रिस्पना, बायपास, अजबपुर, जोगीवाला क्षेत्र में जाम की स्थिति अधिक चुनौतीपूर्ण रही, जिससे निबटने को थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी अपनी टीम के साथ सड़को पर यातायात व्यवस्था बनाते नज़र आये। लगातार 4 घंटे के जाम के दौरान पुलिस वाले जाम खुलवाने को हर कोशिश करते नज़र आये। जबकि त्योहार उन ख़ाकी वालो का भी, बहने उनकी भी घर पर इंतज़ार करती रही, उनके फ़ोन में भी घरवालों के फ़ोन घर कब आओगे पूछने को आते रहे किंतु वह राजधानी के और लोगो को प्राथमिकता पर रख अपने कर्तव्यस्थल पर डटे है और ऐसे में मुहूर्त फिर बीत गया।

किन्तु हम कितने बेसबरे हो जाते है कि ख़ाकी हमारी सहूलियत के लिए डटी है वह देखना भूल जाते है। हमारी सुगमता के लिए ख़ाकी थोड़ा रूट डाइवर्ट या थोड़ा सा लंबा घुमाकर कट लेने को बोल दे तो हम इतने गुस्सा हो जाते है कि उस पुलिस वाले से ही उलझ जाते है। और व्यवस्था संभाल रही ख़ाकी की व्यवस्था मे हमे कुछ दूरी पर जाम में अपना इंतज़ार करना पड़ जाए तो सीधे डायल 112 पर कॉल कर जाम की शिकायत कर व्यवस्थाओ को कोसने लगते है। और इन जाम की स्थिति की कल के बड़े अखबारों में बड़ी हैडिंग के साथ खबर छपी भी नज़र आ जाती है कि ‘जाम से सूखे शहर के हलक’, ‘ राखी पर निकला राजधानी का दम’, ‘घण्टो जाम में फंसे कई भाई व बहन’ और न जाने क्या क्या जिसके चलते अगले दिन यातायात को सम्भालने को अपनी हर ताकत झोंक चुके उक्त जवान को आला अधिकारी की फटकार भी पड़ जाती है। किन्तु जब पुलिस वाले हमे जाम में थोड़ा इंतज़ार को बोल देते है तो हम क्यों भूल जाते है वह भी इंसान है, वह भी चुनौतियों से दो चार होता है,धूप उसको भी लगती है, बारिश उसको भी भिगोती है,फिर भी वह हमारे लिए हमारी सुरक्षा में डटा है,तो हम क्यों नही उनका सहयोग करते है?

पुलिस द्वारा हमारी सहूलियत के लिए त्योहारों पर ज़्यादा से ज़्यादा दोपहिया वाहनो का इस्तेमाल का आवाहन करते है किंतु हम एक बडी गाड़ी लेकर चलते है जिनमे बैठने तो सिर्फ दो लोग है किंतु जाना कार में ही है,ऐसे में शहर भारी जाम की स्थिति बनना स्वाभाविक है। फिर भी ख़ाकी हमारे सहयोग को डटी है। ख़ाकी के साथ यही हाल दीवाली का भी है,यही हाल ईद,होली के लिए भी है,जब कई मौके,मुहूर्त निकल जाते है वह घर और घरवालों से दूर हमारी सुरक्षा में तैनात रहते है। घर वाले पूछे तो। “बस कुछ देर में आता हूँ” कहकर अपना फर्ज निभाने को 24*7 तैयार रहते है।

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