हरिद्वार

परिक्रमा ने आयोजित की कवि गोष्ठी, दूर तू हटता गया ईमान से, फासला बढ़ता गया इंसान से

चिराग कुमार हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(चिराग कुमार) हरिद्वार। अद्भुत ईश्वर की तंत्र है मानव तन, विकट पहेली में उलझी हूँ रहता कहाँ है मन के साथ नगर की वरिष्ठ कवियित्री डा० मीरा भारद्वाज ने मानव मन की दुविधा को भेल, सैक्टर-5बी स्थित सुपरवाइज़र एण्ड जूनियर आफीसर्स एसोसिएशन के कार्यालय में आज सायंकाल सम्पन्न हुई परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में अपनी काव्य रचना पढ़ते हुए रखा। माँ सरस्वती के विग्रह के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन, पुष्पार्पण तथा देवेन्द्र मिश्र की वाणी वन्दना से प्रारम्भ हुई काव्य गोष्ठी में नगर के तमाम लोकप्रिय कवियों ने अपनी-अपनी विधाओं में काव्य पाठ किया। गोष्ठी की अध्यक्षता मूर्धन्य कवि एवं छंद विशेषज्ञ पं. ज्वाला प्रसाद शांडिल्य दिव्य ने की, जबकि, काव्यगत संचालन परिक्रमा सचिव शशिरंजन ‘समदर्शी’ ने किया। काव्य धारा में प्रवेश करते हुए पारिजात अध्यक्ष सुभाष मलिक ने गंगा में जो पानी है, संत भगीरथ के पुरखों की निशानी है, वरिष्ठ कवि मदन सिंह यादव ने दूर तू हटता गया ईमान से, फासला बढ़ता गया इंसान से कुंअर पाल सिंह धवल ने नारी स्वयं लक्ष्मी रूप कई करता अभिवंदन है सुरेन्द्र कुमार सत्यपथिक ने पैसों की महिमा बड़ी सब है जानत हैं आज तथा बृजेन्द्र हर्ष ने नयनों‌ में सरल स्नेह, मन सरिता अनुरागी बहने दो के साथ श्रोताओं की ख़ूब तालियाँ बटोरी। कवियित्री डाॅ० नीता नय्यर निष्ठ ने वक्त बिछाए बैठा है चौसर अपनी फिर हारेगा एक सिकंदर लगता है’ आज के हालातों पर तंज कसे, तो चेतना पथ सम्पादक अरुण कुमार पाठक ने अपना गीत चले जाना ठहर करके, तुमको देखा नहीं है जी भर के प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। अमित कुमार मीत ने चाँदनी रात का इस मुलाकात का, हो इशारा अगर तेरी एक बात का कुसुमाकर मुरलीधर पंत ने ‘जिसके आंचल तले मुझको संसार मिला तो परिक्रमा सचिव शशि रंजन समदर्शी ने स्वप्न भटकता जा पहुँचा बूढ़े वट की छाँव में सजी बैलगाड़ी में दुल्हन आई मेरी गाँव में के रूप में अपनी-अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत कीं।‌ इसके अतिरिक्त श्याम चरण शुक्ला देवेन्द्र मिश्र तथा ओज कवि दिव्यांश दुष्यन् ने भी अपनी सरस काव्य रचनाओं का पाठ किया।

Related Articles

Back to top button