अंधकार को दूर कर शिष्य के जीवन को प्रकाशित करने वाला ही वास्तिविक गुरू है: प्रो० दिनेश चन्द्र शास्त्री
नीटू कुमार हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। अंधकार को दूर कर शिष्य के जीवन को प्रकाशित करने वाला ही वास्तिविक गुरू है। गुरू शिष्य की परख करने के बाद एसे अपन अन्तःवास मे स्थान देता है। जिसके बाद शिष्य के जीवन मे होने वाले बदलाव तथा राष्ट्र के प्रति उसके उत्तरदायित्व का बोध उसके लक्ष्य को पलवित करना आरम्भ करता है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दिनेश चन्द्र शास्त्री ने अपन उदगार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मन्त्रोचार, दीप-प्रज्ज्वलन एवं डाॅ० सर्वपल्लीराधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। प्रो० दिनेश चन्द्र शास्त्री ने कार्यक्रम मे उपस्थित छात्रों एवं शिक्षकों सम्बोधित करते हुये कहाॅ कि पुरातन भारतीय परम्परा मे गुरू, शिष्य का चयन करके, जनेऊ धारण कराकर, गायत्री कराने के उपरान्त ही शिष्य घोषित करता था। वर्तमान आधुनिक शिक्षा व्यवस्था मे प्रयोग छात्र ‘गुरू के छत्र’ शब्द से मिलकर बना है। पुस्तकों का अध्ययन शिष्य मे जागृति एवं सामाजिक चेतना का संचार करता है, इसलिए छात्र जीवन मे शिक्षा के आधुनिक संसाधनों का उपयोग करने के स्थान पर प्रमाणिक स्रोत का उपयोग करने को प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए। प्रो० शास्त्री ने कहाॅ कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन मे लाईब्रेरी को मन्दिर का स्थान दिया है। अपने प्रिय वस्त्र से पुस्तकों पर लगी धूल साफ करने वाला ही सही अर्थो मे शिष्य कहलाने का अधिकारी हो सकता है। कार्यक्रम मे संकायाध्यक्ष प्रो ब्रहमदेव ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन मे कहाॅ कि शिक्षक कोई सामान्य शब्द नही है। वेदज्ञ एवं ऐतिहासिक पुरूष ही शिक्षक कहलाने का पात्र हो सकता है। उन्होने कहाॅ कि शिक्षक बिगडने पर उस समाज अथवा देश का पतन हो जाता है। भारतीय संस्कृति मे गुरू का सानिध्य कम होने तथा वाहय वातावरण का प्रभाव ज्यादा होने के कारण वर्तमान समाज की स्थिति पैदा हुई है जिसके प्रभाव से गुरूकुलीय पद्वति को क्षति पहुॅची है। अतिथियों का स्वागत प्रभारी, शारीरिक शिक्षा एवं खेल डाॅ० अजय मलिक ने किया। उन्होने छात्रों को शिक्षक दिवस के महत्व एवं उसकी उपयोगिता को समझाया। कार्यक्रम का संचालन करते हुये डाॅ० शिवकुमार चैहान ने कहाॅ कि शिक्षा मे मूल्यों तथा समर्पण का विशेष महत्व है। दोनो के प्रभाव से शिष्य उन्नति प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम मे डाॅ० अनुज कुमार, डाॅ० प्रणवीर सिंह, डाॅ० पंकज आर्य, कंचन आर्य, शोध छात्र रविन्द्र परमार, सहित प्रशिक्षु शिक्षक एवं अन्य संकायों एवं विभागों के छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त मे अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय खेल दिवस के उत्कृष्ट छात्रों को प्रशस्ति-पत्र तथा अतिथियो को स्मृति-चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम मे का समापन शान्ति-पाठ के सम्पन्न हुआ।