कलियुग में माया से मुक्ति दिलाती है राम कथा: रामभद्राचार्य महाराज
श्री राम कथा को स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने नया आयाम और आकार दिया: गणेश जोशी
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। उत्तराखंड के काबीना मंत्री गणेश जोशी ने आज हरिद्वार पहुंचकर कनखल में राजघाट पर प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर के प्रांगण में 7 जून से 15 तक आयोजित श्री राम कथा में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर काबीना मंत्री गणेश जोशी ने पद्मविभूषण तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का आशीर्वाद लिया। इस दौरान मंत्री गणेश जोशी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज के मुखारबिंद से श्री राम कथा का श्रवण भी किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि जगद्गुरु तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने श्री राम कथा को एक नया आयाम और आकार दिया है। वे इस सदी के महान संत हैं, जिनकी तुलना अतुलनीय है। और महाराज श्री हम सबके मार्गदर्शक हैं। श्री राम कथा को आज विस्तार देते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि कलियुग में श्री राम कथा माया से मुक्ति दिलाती है। उन्होंने कहा कि माया के चार रूप है। उन्होंने कहा कि कलयुग में राम कथा के श्रवण से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और गंगा के पावन तट पर तो राम कथा का गायन और श्रवण भाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। उन्होंने कहा कि राम कथा और गंगा आध्यात्मिक रूप से मनुष्य को सशक्त बनाती है। भगवान श्री राम और उनके तीनों भाई जब गुरु वशिष्ट के आश्रम में विद्या अध्ययन के लिए गए तो उन्होंने राजा दशरथ के राजकुमार पुत्रों के रूप में नहीं बल्कि एक आज्ञाकारी शिष्य के रूप में शिक्षा ग्रहण की। भगवान श्री राम ने गुरु और शिष्य की परंपरा को हमेशा मर्यादित और सम्माननीय आधार प्रदान किया। जिससे गुरु शिष्य परंपरा और अधिक सशक्त हुई। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के कथा स्थल पहुंचने पर श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के कारबारी महंत गोविंद दास महाराज ने उनका पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया और आशीर्वाद दिया। आयोजन समिति के मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा, अचिन अग्रवाल, समिति के वरिष्ठ सदस्य नितिन माना, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अखिलेश बिट्टू शिवपुरी, नमित गोयल, अभिनंदन गुप्ता, गगन गुप्ता, गौरव गुप्ता आदि ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह और माला भेंटकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन आचार्य श्री के उत्तराधिकारी आचार्यश्री राम चंद्र दास महाराज ने किया।