रुड़की

महिलाए शमशान घाट नहीं जाती, इस मिथक को तोड़ पूरे देश के लिए मिशाल बन चुकी क्रांतिकारी शालू सैनी

फिर लावारिस शव को अपना नाम देकर किया अंतिम संस्कार

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रुड़की। नगर में समाज सेवा की अनोखा रूप क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा दिखाया गया है। क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा समाज सेवा को अपना कर्तव्य समझकर किया गया और आज तक उसी तर्ज पर समाज सेवा करती आ रही है। क्रांतिकारी शालू सैनी को आज फिर जनपद के थाना सिविल लाइन द्वारा सूचित किया गया। लावारिसों को अपना नाम देकर क्रांतिकारी शालू सैनी ने विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया। क्रांतिकारी शालू सैनी ने बताया कि अब तक वो कई हजार लावारिसों की वारिस बन चुकी है। शालू सैनी ने कहा कि भगवान ने मुझको समाज सेवा की कसौटी पर उतारा है और मैं इस कसौटी पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगी, क्योंकि भगवान भेालेनाथ ने यदि मुझको इस कार्य के लिए चुना है, तो होसला और हिम्मत भी वही दे रहा है। उन्होंने बताया कि वे सड़क पर ठेका लगाकर-लगाकर अपने बच्चों का गुजारा करती है, जो बचता है अंतिम संस्कार की सेवा में लगा देती है। कुछ समाज से सहयोग मांग कर करती है। उनका खुद का इतना सामर्थ्य नहीं है कि वो इतना पैसा अकेले खर्च कर सके, क्योंकि वो एक सिंगल मदर है और सड़क पर ठेला लगाकर अपने बच्चों की जिम्मेदारी पूरी करती है। समाज सेवा के क्षेत्र में आज क्रांतिकारी शालू सैनी परिचय की मोहताज नही है। लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी के नाम से जनपद के साथ साथ पडोसी जनपदों में भी प्रसिद्धि हो रही है। उन्होंने जनता से भी अपील की कि उनकी सेवा में अपनी इच्छा अनुसार सहयोग अवश्य करे।

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