भू-माफियाओं से सलेमपुर व दादुपुर गोविंदपुर ग्राम पंचायत भूमि को किया जाए कब्जा मुक्त: बुला चौधरी
मोहम्मद आरिफ उत्तराखंड क्राइम प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(मोहम्मद आरिफ) हरिद्वार। भारत में भूमि विवाद और अवैध कब्जे एक गंभीर समस्या रहे हैं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां ग्राम पंचायतों की हजारों एकड़ भूमि पर भू-माफिया वर्षों से अवैध रूप से कब्जा करते आए हैं। यह कब्जे न केवल ग्राम पंचायत की संपत्ति पर अतिक्रमण हैं, बल्कि ग्रामीण विकास की योजनाओं में भी बाधा उत्पन्न करते हैं। ऐसे में ग्राम पंचायत की भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त अति आवश्यक होता है। इसी मुहिम को आगे बढ़ाते है वरिष्ठ समाजसेवी चौधरी गुलशन वर बुला सलेमपुर ने ग्राम दादूपुर गोविंदपुर और सलेमपुर की ग्राम पंचायत भूमि को कब्जा मुक्त कराने की शासन प्रशासन से गुहार लगाई है। उन्होंने प्रेस वार्ता में बताया कि ग्राम दादूपुर गोविंदपुर और सलेमपुर ग्राम पंचायतों में पंचायती भूमि को बड़े पैमाने पर खुर्द बुर्द किया गया है। भू-माफिया यहां सक्रिय है। और ग्राम पंचायत की बेश कीमती जमीनों पर कब्जा करके बैठे हैं यहां तक ग्राम समाज की भूमि पर अवैध तरीके से कॉलोनियां भी काट डाली है। उन्होंने बताया कि दादूपुर गोविंदपुर में लगभग 12 बीघा का तालाब भी हुआ करता था लेकिन कुछ लोगों ने तालाब को मिट्टी से भरकर उसे भी कब्जा लिया है। उन्होंने कहा कि ग्राम समाज भूमि कब्जाने का मामला यहीं नहीं रुका, हद तो तब हो गई जब पूर्व प्रधान इकबाल के समय में ईदगाह का प्रस्ताव हुआ और भूमि को चिन्हित किया गया, लेकिन दबंगों ने उसे भी नहीं छोड़ा, उस ईदगाह की प्रस्ताविक भूमि को भी कब्जा ली गई है। चौधरी गुलशन वर बुला ने शासन प्रशासन से ग्राम दादूपुर गोविंदपुर और सलेमपुर की ग्राम समाज भूमि और (नॉनजढा) सिंचाई विभाग की भूमि को कब्जा मुक्त कराने की अपील की है। साथ ही उन्होंने तालाब की पैमाइश कराकरर तालाब की खुदाई सहित सौंदर्यकरण कराने और दादूपुर गोविंदपुर की चिन्हित ईदगाह भूमि को कब्जा मुक्त कराने की गुहार भी उत्तराखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लगाई है। आपको बता दें कि ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा होने से न केवल गांव के विकास कार्यों पर असर पड़ता है, बल्कि गरीब व भूमिहीन किसानों को भी इसका नुकसान झेलना पड़ता है। यह भूमि स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक भवन, खेल के मैदान या सार्वजनिक उपयोग व अन्य सुविधाओं के लिए उपयोगी हो सकती है। लेकिन जब यह भूमि भू-माफियाओं के कब्जे में चली जाती है, तो ग्रामीण विकास ठप पड़ जाता है। साथ ही इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को सक्रिय भूमिका निभानी होती है। राजस्व विभाग, पुलिस प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों का आपसी सहयोग अत्यंत आवश्यक है। ग्राम सभाओं की बैठकों में इस विषय को प्रमुखता से उठाना चाहिए और अवैध कब्जे की जानकारी दस्तावेजों के साथ संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए। भू-माफियाओं के खिलाफ लड़ाई अकेले प्रशासन की ही नहीं होती, बल्कि ग्रामीणों का सहयोग और जागरूकता भी आवश्यक है। जब गांव के लोग एकजुट होकर आवाज उठाते हैं, तो प्रशासन पर भी कार्रवाई का दबाव बनता है।भूमि अतिक्रमण के मामलों में न्यायालय का सहारा लेना भी एक सशक्त उपाय हो सकता है। यदि स्थानीय स्तर पर समस्या का समाधान न हो, तो उच्च न्यायालय या लोकायुक्त में याचिका दायर की जा सकती है। साथ ही, संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की जा सकती है, जो अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करते है। साथ ही ग्राम पंचायत की भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त कराना केवल एक कानूनी या प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। यह गांव के समग्र विकास, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की पुनर्प्राप्ति की दिशा में एक बड़ा कदम है। जब ग्रामीण एकजुट होकर अपनी पंचायत की जमीन को बचाने का बीड़ा उठाते हैं, तभी सच्चे मायनों में स्वराज्य की परिकल्पना साकार होती है। साथ ही दादूपुर गोविंदपुर और सलेमपुर ग्राम समाज भूमि को कब्जा मुक्त करने की जो आवाज वरिष्ठ समाजसेवी चौधरी गुलशन वर बुला सलेमपुर ने उठाई है वह तारीफे काबिल है। और यह आवाज कहीं ना कहीं शासन प्रशासन को जगाकर दोनों ग्रामों की कब्जाई गई भूमि को कब्जा मुक्ति कराने में कारगार साबित होगी।