हरिद्वार

उम्र के इस पड़ाव पर भी ‘समर्पण व दृढ़ता’ को ख़ाकी करती है सलाम

अक्षय कुमार हरिद्वार संवाददाता


हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अक्षय कुमार) हरिद्वार। आज़ादी से पहले के दौर को जिसने जिया, आज़ादी के बाद जिसने भारत को हर पल मुश्किलों से जूझते हुए शिखर तक पहुँचते देखा। ख़ाकी का ही एक प्रतिरूप बनकर ‘ग्राम पहरी’ के रूप में जो ग्राम वासियो की सेवा व सुरक्षा को हर पहर, हर मौसम, हर विपत्ति, विपरीत परिस्थितियों में ‘अडिगता’ लिए खड़ा रहने वाले उस व्यक्ति के समर्पण व निष्ठा को आज स्वतंत्रता दिवस की 79वीं वर्षगांठ पर हरिद्वार पुलिस द्वारा सम्मानित करने से बड़ा आज का उत्सव शायद ही कोई हो सकता था।

हरिद्वार जनपद के मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के गुरुकुल नारसन अंतर्गत कुंवाहेड़ी गाँव निवासी देवीलाल आज 111 वर्ष के है। उन्होंने भारत की आज़ादी से पहले का भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा अंग्रेज़ी हुकूमत का दौर देखा है, उस समय वह ग्राम चौकीदार हुआ करते थे। जिसके बाद सन 1947 में भारत को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद होते नए भारत बनने की तरफ शुरुआत करते हुए देखा। इस बीच वह आज़ाद भारत में अपने गांव के ग्राम पहरी बने व गांव व पुलिस बल के बीच मजबूत सेतु की जिम्मेदारी संभाली और आज़ादी के 79 वें वर्ष में आज तक निभाते चले आ रहे है।

इस पूरे काल मे उन्होंने आज़ादी के बाद की कठिन परिस्थितियों को जिया, सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और सतर्कता के साथ निभाया। दिन होती या रात,कड़ी धूप थी चाहे छांव, वर्षा या आंधी उन्होंने गॉंव वासियो व पुलिस विभाग के बीच एक पुल की तरह कार्य किया। एक तरफ गांव वासियो ने उनकी सुरक्षा जिम्मेदारी पर आंख मूंद विश्वास किया तो वहीं पुलिस विभाग ने भी उनके सजग पहरी के जिम्मे को सराहना व विश्वास जताया। उनकी प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि ग्रामवासियों के मन में सुरक्षा और विश्वास की भावना को हर दिन मजबूत बनाये रखा। पुलिस विभाग द्वारा उनके पौत्र को ग्राम प्रहरी नियुक्त किया गया है, फिर भी देवीलाल की सुरक्षा के जिम्मे की प्रति प्रतिबद्धता है कि वह आज भी पुलिस विभाग से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज पुलिस उपाधीक्षक मंगलौर विवेक कुमार, प्रभारी निरीक्षक मंगलौर शांति कुमार गंगवार, चौकी प्रभारी नारसन हेमदत्त भारद्वाज व मंगलौर पुलिस टीम द्वारा देवीलाल की इसी प्रतिबद्धता को सलाम करते हुए उन्हें निरंतर सराहनीय सेवा के लिए सम्मानित किया गया व कृतज्ञता व्यक्त की गई। इस अवसर पर उन्होंने गुलामी के दौर के अनुभव साझा करते हुए भावुक होकर कहा आजादी की कीमत केवल वही जानते हैं जिन्होंने गुलामी का दौर देखा है।

मंगलौर पुलिस ने देवीलाल की 111 वर्ष की आयु में भी सेवा भावना पर नतमस्तक होकर उनके जीवन से सबक लेने का आवाहन किया है व कहा कि सेवा की कोई उम्र नहीं होती-केवल इच्छा, लगन और जिम्मेदारी का भाव ही सच्ची प्रेरणा है।

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