हरिद्वार

श्रीहरिहर मंदिर मे कलश यात्रा कर शुरु हुई सप्त दिवसीय शिव महापुराण कथा

रवि चौहान हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रवि चौहान) हरिद्वार। श्रीहरिहर मंदिर मे आयोजित सप्त दिवसीय शिव महापुराण का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ भक्तो ने दूर दूर से आ कर कलश यात्रा मे हिस्सा लिया गंगा जी का पूजन किया और कथा श्रवण की कथा व्यास आचार्य विकास जोशी ने कहा जन्म जन्मांतर के जब पुणिया उदित होते है तब शिव महापुराण श्रवण करने वा आयोजन करवाने का अवसर मनुष्य को प्राप्त होता है। शिव नाम परम कल्याणकारी है और जितने सरल और दयालु शिव है उतना कोई भी नही। भगवान शिव को जिसने जहाँ विराजा वो वहाँ विराज गये जिसने विराजा उसी के हों गये। सब देव देव रहे शिव हलहल विष पी महादेव हों गये। श्रावण मास के शुरुवात मे ही समुद्र मंथन हुआ और अमृत की कामना से देवता और दानवो ने समुद्र के मथन किया जिससे अमृत के स्थान पर सर्व प्रथम काल कुट विष निकला जिसे देख सब भय भीत हों गये यह विष धीरे धीरे सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड मे फैलने लगा जिसे देख सभी के कल्याण हेतु शिव ने यह विष पान किया यह विष पिने के बाद भगवान शिव के शरीर का ताप बढ़ने लगा यह देख सभी देवता और दानवो ने भगवान के ताप को शांत करने के लिए जल शिव जी को अर्पित किया इस जल से शिव जी का ताप शांत हुआ और तभी से श्रावण के महीने भगवान शिव पूजन और रूद्राभिषेक करना विशेष मना गया। श्रावण के महीने शिव भक्त गंगा जल भर शिव का अभिषेक करते है। शिवमहापुराण के प्रथम दिवस कथा महत्म मे बताया की भगवान शिव ने उनके ऊपर भी कृपा की जिन्होंने कभी भी कोई पूर्णिय कर्म नही किया केवल शिव पुराण के श्रवण करने मात्र से उनका उधार हुआ शिव महा पुराण को सवन के महा मे श्रवण करने के फल अक्ष्य है। भगवान शिव की कृपा जिसपर हों जाए सभी देवता उसपर कृपा करते है कथा श्रवण करने भक्त दूर दूर से आये जिसमे नया हरिद्वार वेल्फेयर सोसाइटी के अध्यक्ष श्याम बाबू शर्मा, राजीव त्यागी, अशोक गिरी मुख्य पुजारी स्यालिक राम जोशी, पार्षद मोनिका सचिन बेनीवाल, रमा, सुनीता, गोपाल शर्मा, डी मौर्य, केदार वर्मा, मोहित, सुमित, अक्ष्य, पवन, उर्मिला, सुभास, विवेक, अभिषेक, चेतन, दिव्या आदि भक्त श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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