हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। एक प्रदेश विभिन्न जनपदो से मिलकर बनता है और जनपद अगर स्वयं में उन्नत, स्वच्छ, प्रगतिशील, बेहतरीन सिविक सेंस, सुविधाजनक उपकरणों, माध्यमो सहित पारंपरिकता का मिश्रण लिए हो तो प्रदेश उन्नत बनता है। अपने जनपदो को उन्नत बनाने में जहां आम जनता का सबसे बड़ा योगदान होता है तो प्रशासन स्तर पर उस जनपद का ‘मुखिया’ कहलाने वाला प्रशासनिक अधिकारी अगर कर्तव्यबद्धता संग दूरदृष्टि, क्लियर विज़न,ईमानदार, सबको साथ लेकर चलने वाला हो, तो जनपद और प्रदेश खुद प्रशस्त हो जाता है। एक जनपद को अनुकरणीय व मिशाल बनाने में एक प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका सदैव रहती है, और प्रयास अगर सही दिशा में हो तो उस प्रशासक के फैसले नजीर बन जाते है।जनपद देहरादून के वर्तमान जिलाधिकारी सविन बंसल का किरदार और व्यक्तित्व एक कुशल प्रशासक की तस्वीर बेहतरी से पेश करता है। जिस विजन के साथ उनके द्वारा आईएएस जैसी देश की कठिनतम परीक्षा को उत्तीर्ण कर सिस्टम का हिस्सा बन जनता की सेवा का फैसला लिया है, उतनी ही काबिलियत से उनके द्वारा धरातल पर अपने कार्यो के जरिये अपने विजन की तस्वीर दिखाई है। सविन बंसल साल 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। उनके द्वारा अपनी शिक्षा एनआईटी कुरुक्षेत्र, हरियाणा से की है जहां बीटेक के पश्चात उनके द्वारा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से रिस्क डिजास्टर से अपना मास्टर्स किया। उनके द्वारा अपने दूसरे प्रयास में आईएएस परीक्षा में 34वीं रैंक हासिल कर परीक्षा उत्तीर्ण की और उत्तराखंड़ कैडर के अधिकारी बने। वह डीएम देहरादून से पहले डीएम नैनीताल व अल्मोड़ा का जिम्मा भी सम्भाल चुके है। कार्यभार संभालने के दिन से ही एक्शन शुरू- 2009 बैच के आईएएस सविन बंसल ने सितंबर 2024 में डीएम देहरादून का पद सम्भालने के साथ ही राजधानी की सूरत बदलने व सुस्त सरकारी मशीनरी में तेजी लाने को कार्य किया। राजधानी देहरादून असल मे है कैसा और किन क्षेत्रो में सुधार की जरूरत है- इसके साथ अपना कार्यकाल बतौर डीएम सुधार शुरू किया। उनके द्वारा लाल बत्ती की गाड़ी को छोड़कर पुलिस कप्तान अजय सिंह के साथ बाइक में बैठकर शहर की सड़कों से लेकर अलग-अलग क्षेत्रो की स्थिति का जायज़ा लिया। देहरादून को स्मार्ट बनाने को जगह-जगह खुदाई करने वाली, केबल बिछाने, गैस पाइपलाइन बिछाने वाली उत्तरदायी संस्था द्वारा शहर में जगह-जगह खुदाई करने का जिम्मा तो लिया किन्तु खुदाई के बाद मौके पर बजरी,मिट्टी साफ करने से अपना पल्ला झाड़ने से गुरेज नही किया, नतीजन शहर में कई जगह गड्ढे हो गए जो आय दिन हादसों का सबब बने। डीएम सविन ने उन सभी संस्थाओं की जिम्मेदारी तय की और दोषी संस्थाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में भी देरी नही की। अपनी मर्जी से खुदाई व काम निबटाने वाली संस्था को समयसीमा में ही काम करने के आदेश देकर बेवजह की खुदाई से दून को मुक्त करवाया। देहरादून व विश्व के प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र मसूरी में पीक सीजन टाइम में पर्यटकों की भारी भीड़ के चलते मसूरी की सड़कों पर वाहनो के दबाव के चलते जाम की स्थिति व पर्यटकों भी इस दौरान मसूरी के मार्ग पर पैदल चलने में दिक्कत होने की समस्या के निवारण को डीएम द्वारा किंक्रेग पार्किंग से लाइब्रेरी चौक और पिक्चर पैलेस तक, तथा हाथीपांव से लाइब्रेरी चौक और पिक्चर पैलेस तक शटल सेवाएँ शुरू की गयी। महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिक-कोई भी देश व प्रदेश तभी उत्थान की ओर अग्रसर होता है जहां महिलाओं का सम्मान हो, और उनके खिलाफ होती हिंसक व आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने को काबिल तंत्र हो। राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा खासतौर पर भीड़ भाड़ वाले इलाकों में महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता के खिलाफ कानून का सख्त पहरा बनाये रखने को डीएम द्वारा दून पुलिस के साथ मिलकर घंटाघर में पिंक बूथ स्थापित किया जहां तैनात महिला कर्मियों से कोई भी पीड़ित महिला अपनी शिकायत बता सकती है। प्रशासक केवल वह नही जो मात्र ऎसी के कमरों में बैठकर अपने अपने जनपदो की समस्या को सुनकर उन कार्यो को उनके संबंधित विभागों तक पहुँचा मार्गदर्शन करें अपितु वह है जो मामलों की गंभीरता को समझते हुए कानून व नियम का समन्वय बनाकर हर फैसला ले। डीएम सविन के दरबार मे आने वाले हर फरियादी को गौर से सुनने व मौके पर ही उसके निस्तारण जैसे कदम ने उनके कुशल फैसलों को सराहना दिलवाई। तो वहीं बूढ़े माता पिता व अकेली माँ को सताने वाली संतानों के खिलाफ कार्यवाही कर लंबी चौड़ी कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार अपने को मिला स्पेशल पावर्स का उचित प्रयोग कर पीड़ित को न्याय दिलवाया गया। बुजुर्गों के लिए ‘सारथी’- जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा अपने दर पर आने वाले बुजुर्ग फरियादियों की न सिर्फ समस्या सुन उनको हल किया बल्कि उनका कार्य जिस विभाग में होना है वहां छोड़ने के लिए सरकारी वाहन ‘सारथी’ उनका साथी बनवाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी में परंपरा व संस्कृति का मिश्रण-राजधानी देहरादून को स्मार्ट बनाने की कवायद लंबे समय से शुरू है जो धीरे-धीरे धरातल पर उतर रही है। डीएम द्वारा दून के इस स्मार्टनेस में उत्तराखंड की परंपरा, संस्कृति व पहाड़ी क्षेत्रों की झलक सौंदर्यीकरण में दिखाने को कार्य किया जिसकी तस्वीर जल्द ही दिलाराम चौक आदि स्थानों पर दिखने को मिलेगी। आईएसबीटी में जलभराव की स्थिति को कहा ‘नो’- राजधानी में बाहरी राज्यों से बस के माध्यम व दिल्ली आदि क्षेत्र से प्रवेश पाने वाले पर्यटकों के वाहनो को बरसात के मौसम में आईएसबीटी के फ्लाईओवर के नीचे जलभराव की स्थिति से रूबरू होना होता था किंतु डीएम के इस बार के दृढ़ संकल्प व कड़ी तैयारियों व मशीनरी की बदौलत इस बार की वर्षा में फ्लाईओवर पानी भराव से मुक्त रहा। स्मार्ट कंट्रोल रूम से जुड़े सीसीटीवी कैमरे- शहर की सुरक्षा को बनाये रखने में आज के युग मे कैमरों ने बखूबी रोल निभाया है। डीएम द्वारा शहर के अलग अलग संवेदनशील इलाकों को सीसीटीवी कैमरों से लैस करवाकर शहर के कुल 150 से अधिक सीसीटीवी को स्मार्ट कंट्रोल रूम से जुड़वा दिया गया है। पार्किंग की समस्या से दून को दिलवा रहे निजात-राजधानी देहरादून छोटा शहर है,जिसके चलते शहर में खरीदारी को निकलते लोगो के लिए अपनी गाड़ी पार्क करना बड़ी दिक्कत है। डीएम द्वारा इस समस्या से राजधानीवासियों को निजात दिलाने को ऑटोमेटेड पार्किंग के तहत मैकेनिकल रैक्स पर वाहन पार्किंग की सुविधा दी है। तिब्बती मार्किट,परेड ग्राउंड और कोरोनेशन अस्पताल के पास यह सुविधा फिलहाल गतिमान है। चार्जिंग स्टेशन की सौगात- डीएम देहरादून शहर की प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में लोगो को प्रोत्साहित करने के लिए शहर के 10 क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन स्थापित किये जा रहे है। पटेल पार्क, गांधी पार्क, परेड ग्राउंड, मॉल ऑफ देहरादून, आइएसबीटी और बल्लूपुर के पास यह चार्जिंग स्टेशन है। सुस्त विभागों पर कार्यवाही- जिलाधिकारी द्वारा सरकारी मशीनरी में सुस्त चाल चलने वाले कर्मियों के खिलाफ भी अनुशासत्मक कार्यवाही जमकर की है, जिसमे कई अधिकारियों को ढिलाई के चलते फटकार तो कई पर निलबंन की कार्यवाही भी हुई, जिससे उनके द्वारा किसी भी सूरत में घपलेबाजी, सुस्ती, पैसे व समय बर्बादी को बर्दाश्त न करने के अपने इरादों से अधीनस्थों को अवगत करवाया गया। डीएम सविन बंसल द्वारा अभी तक अपने कार्यकाल में जो भी कार्य किये है उनके चलते राजधानी वासियो को उनसे उम्मीद बड़ी है। एक युवा, कुशल, तेज तर्रार प्रशासक के दायित्व व कबिलियत की तस्वीर को उनके द्वारा चरणबद्ध तरीके से अपने सार्मथ्य अनुसार लगातार निभाया जा रहा है, जिससे राजधानी के प्रशासनिक कार्यो में आगे आने वाले समय मे निश्चित ही सकारात्मक बदलाव की आशा हर राजधानी वासी को है।
पीड़ितों के हर कदम साथ…..
बीती मंगलवार को राजधानी के सहस्त्रधारा, मालदेवता क्षेत्र में बादल फटने से सहस्त्रधारा व मालदेवता के आसपास के गांव में मची तबाही ने कई लोगो के सिर से छत छीन ली तो किसी से कभी न भूल सकने वाला ‘अपनो को खोने’ का दर्द देखा। उस मंजर ने राजधानी देहरादून को कभी न भूल सकने वाला मंजर दिखाया जिसमे 30 लोगो की फिलहाल तक जान जा चुकी है व 10 लापता है। इस ग्रामीणों का दर्द शायद सरकार व जिला प्रशासन कभी कम नही कर सकता किन्तु मुश्किल की इस घड़ी में सहारा व साथ होने का एहसास जरूर दे सकता है, और वह काम किया है जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा।
सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे मुश्किल और अव्वल दर्जे की परीक्षा है जिसको पार करने बाद एक युवा क़सम खाता है- देश को बदलने की और सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उसमे सुधार करने की। जिलाधिकारी देहरादून का पद सम्भालने के प्रथम दिन से लेकर आज तक जिलाधिकारी द्वारा अपने हर फैसले व कदम से कुशल प्रशासक की ‘नजीर’ पेश की है, तो वहीं अपने जनपद के लिए ‘कुशल प्रशासक’ की क्या जिम्मेदारी होती है वह निभाने में जिलाधिकारी जरा भी पीछे नही।
मालदेवता से संपर्क खो चुके फुलेत, छमरोली, क्यारी, सिमयारी, सिरोना का हाल भी कुछ ऐसा है, जहां फिलहाल नही है,किन्तु डीएम 12 किमी का पैदल रास्ता तय कर ग्रामीणों के पास पहुँचे। किसी बड़े अधिकारी को कभी अपने द्वार पर देखने वाले ग्रामीण डीएम को इस आपदा में देखकर ‘उम्मीद’ बंधी तो डीएम ने भी आगे बढ़कर न सिर्फ ग्रामीणों की हर समस्या, दर्द सुना बल्कि अपने अधिकारियों को मौके पर नियुक्त कर सभी समस्याओं का निवारण करने को तैनात कर दिया।जिलाधिकारी द्वारा ग्रामीणों में न सिर्फ सुरक्षा भाव को मजबूत किया अपितु अपने फर्ज में अपना व्यक्तित्व भी दिखाया है।
आपदा के दर्द झेल रहे ग्रामीणों ने जब डीएम को अपने साथ खाने को पूछा तो डीएम ने भी सहर्ष सादगी से ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठकर खाना खाया, जिससे उन्होंने अपने ‘उन्ही के बीच, उन्ही के लिए’ होने का वादा पूरा करने के अपने प्रण को दोहरा दिया है।जहाँ किसी नेता ने सिवाए अधिकारियों को लगाई फटकार के इलावा कोई मदद नहीं की वहीं डीएम सविन बंसल ने न केवल 12 किलोमिटर का पैदल सफ़र तय कर ग्रामीणों का हाल जान बल्कि एक आम इंसान की तरह उनके साथ ज़मीन पर बैठ कर खाना खाकर ग्रामीणों के ‘प्रशासन’ पर विश्वास को मज़बूत किया है।











