हरिद्वार

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफल समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम

(गगन शर्मा) हरिद्वार। हमारे ऋषियों द्वारा प्रदप्त सांस्कृतिक धरोहर की ओर अब दुनिया चलने लगी है। देश दुनिया अब भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। राष्ट्र में धर्मतंत्र का विशेष स्थान है। राजतंत्र धर्मतंत्र के आगे नतमस्तक हो रहा है। उक्त विचार शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने व्यक्त की। वे मुंबई में पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ के अभूतपूर्व सफलता के साथ समापन के बाद लौटी शांतिकुंज टीम के साथ समीक्षा बैठक कर रही थी। उल्लेखनीय है कि शांतिकुंज से आचार्यों, व्यवस्था, यज्ञशाला, निर्माण, भोजनालय, मीडिया, प्रदर्शनी व अन्य विभागों से वरिष्ठ सदस्यों की टीम गयी थी। आवश्यक व्यवस्था को छोड़कर शेष टीम लौट आई। इस अवसर पर श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अग्रिम पंक्ति के लोगों ने अश्वमेध महायज्ञ में प्रतिभाग किया, आयोजन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की और महायज्ञ के उद्देश्यों की पूर्ति का संकल्प लिया, वह यह बताता है कि देश का राजतंत्र धर्मतंत्र को अपने से ऊपर का स्थान दे रहा है। मुंबई अश्वमेध महायज्ञ में दायित्व संभाल रहे टीम के कार्य व्यवहार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने मुंबई अश्वमेध महायज्ञ में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग करने वाले अन्य सभी महानुभावों, स्वयंसेवकों और श्रद्धालु भक्तों, मीडिया संस्थानों को उनकी सेवा भावना, सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सांस्कृतिक पुर्नस्थापना की ओर गायत्री परिवार का यह एक सार्थक कदम है। युगऋषि के सपनों का भारत दिव्य व विकसित, सबल भारत के निर्माण तक हमें सतत आगे बढ़ते रहना।

आपसी समन्वय सहयोग, प्रचंड पुरुषार्थ, श्रद्धेयद्वय के आशीष मार्गदर्शन, गुरुसत्ता की परम कृपा, युवा आइकॉन डॉ चिन्मय जी के कुशल नेतृत्व और स्थानीय परिजनों के समर्पण से अश्वमेध मुंबई अद्भुत सफलताओं के साथ सम्पूर्ण हुआ। ठीक वही अनुभव हो रहा है, जैसे प्रभु श्रीराम के साथ हम सब रीछ वानर राम सेतु बना रहे हो। महायज्ञ के अंतिम दिन प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि मैं चालीस साल से गायत्री परिवार के कार्यों को जानता हूँ। मुझे अश्वमेध महायज्ञ हेतु आमंत्रण मिला, लेकिन समयाभाव के कारण उपस्थित नहीं हो सका। इसलिए उन्होंने महायज्ञ में वर्चुअल भागीदारी की। उनका यह कहना गायत्री परिवार के अभियानों को पुख्ता करता है। केन्द्रीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस जी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फणनवीस, वन व संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार सहित अनेक मंत्रियों, कलाकार ने भी महायज्ञ में पहुंचे और अपनी सहभागिता निभाई।

शांतिकुंज मीडिया विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ में भारत, कनाडा, रसिया, अमेरिका सहित पचास से अधिक देशों के पाँच करोड़ से अधिक लोगों ने प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से प्रतिभाग किया। लाखों लोगों ने अश्वमेध महायज्ञ में गुरु दीक्षा से जुड़े। हजारों की संख्या में विभिन्न संस्कार सम्पन्न कराये गये। इस दौरान एक हजार से अधिक लोगों ने रक्तदान किया, जिसे स्थानीय अस्पताल में जरूरतमंदों के लिए सुरक्षित कराया गया। तो वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए दो लाख सत्रह हजार से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे वितरित किये गये। मुंबई का 47वां महायज्ञ पूरी तरह से व्यसन मुक्त रहा। इस दौरान एक लाख से अधिक ने व्यसन मुक्त विश्व बनाने के लिए संकल्पित हुए। अश्वमेध महायज्ञ को देश-विदेश के मीडिया संस्थानों ने भी प्रमुखता से स्थान दिया और सराहा। यह कार्यक्रम न भूतो न भविष्यति रहा। अभूतपूर्व सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।

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